अकलकरा – दिव्य आयुर्वेदिक औषधि के गुण, उपयोग और सावधानियां

Sachinta maharaj



🌿 अकलकरा – प्रकृति की दिव्य औषधि

अकलकरा (Akkalkara) एक अत्यंत शक्तिशाली एवं दिव्य औषधि है, जो भारत के कुछ विशेष भागों और अफ्रीका के वनों में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है। आयुर्वेद में इसे 'स्नायु-बल्य' और 'वीर्यवर्धक' औषधियों में अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।


🌱 अकलकरा की पहचान:

  •  वर्षा ऋतु आरंभ होते ही इसके पोते जन्म लेते हैं। एक छोटा झाड़ीदार पौधा होता है।
  • इसके फूल पीले रंग के होते हैं और केंद्र में गहरा धब्बा रहता है।
  • इसकी जड़ें सबसे अधिक औषधीय गुणों से युक्त होती हैं। इस औषधि के गुण 7 वर्षों तक रहते हैं।
  • स्वाद में यह तीखा और मुंह में झनझनाहट उत्पन्न करता है।

🧪 अकलकरा के आयुर्वेदिक गुण:

गुण विवरण
रस (स्वाद) कटु, तीखा
गुण बलदायी, तीक्ष्ण, उष्ण
वीर्य उष्ण
प्रभाव वात-कफ हर

💊 अकलकरा के उपयोग (Akkalkara Uses in Ayurveda):

  1. स्नायु रोग (Neurological Disorders):
    स्नायुरोग से संबंधित सभी रोग एवं लकवा आदि के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है मात्र पते के रस पांच रत्ती।

  2. मिर्गी और जबर (Epilepsy & Convulsions):
    इसका नियमित प्रयोग मस्तिष्क को संतुलन देता है और मिर्गी में उपयोगी है। रूमी मस्तगी व अकलकरा केेेेेेेे समान मात्रा में खरल करके गाय के घृत के साथ ले।

  3. खांसी व श्वास रोग:
    यह कफ को कम करता है और श्वसन तंत्र को बल देता है। गर्म काढ़े पीने खासी खत्म हो जाती हैं।

  4. अतिसार (दस्त):
    अकलकरा आंतों की कमजोरी दूर कर अतिसार में राहत देता है। इसका काढ़ा आयु अनुसार बच्चों के दांत निकलने के समय के उपद्रव अतिसार आदि दूर होते हैं। 

  5. यौन दुर्बलता (Impotency):
    यह वीर्यवर्धक और कामशक्ति बढ़ाने वाला है। विशेष रूप से पुरुषों के लिए लाभकारी है। इसका तेल या मूल रस यौवन इंद्रिय पर मालिश कर पान के पत्ते 2 घंटे बढ़ने पर यौवन इंद्रिय मजबूत होती है।

  6. उपदंश (Syphilis) में लाभकारी:
    संक्रमण को कम करने वाले गुण के कारण यह उपदंश में सहायक हो सकता है। पारा एवं खैर को एक साथ पानी में लेने पर उपदंश खत्म होता है ( इस औषधि को सिर्फ वैद्य बन सकता है कृपया बिना सोचे समझे इसका प्रयोग ना करें। )


अकलकरा के दिव्य लाभ (Special Ayurvedic Benefits):

  • वात और कफ दोष का शमन करता है।
  • रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है।
  • मुख और जिह्वा को उत्तेजित करता है।
  • स्मरण शक्ति और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में सहायक।
  • थकावट, कमजोरी और सुस्ती को दूर करता है।

⚠️ सावधानियां (Precautions):

  • अधिक मात्रा में सेवन करने से जलन, उग्रता और गर्मी बढ़ सकती है।
  • गर्भवती महिलाओं और बच्चों को बिना विशेषज्ञ सलाह के न दें।
  • यह औषधि जहरीली होती है हमेशा आयुर्वेदाचार्य या वैद्य की देखरेख में ही सेवन करें।
  • तीव्र बुखार या रक्तविकार के रोगियों को इससे परहेज करना चाहिए।

📌 निष्कर्ष:

अकलकरा एक दिव्य और बहुगुणी औषधि है जो शरीर, मन और इंद्रियों को शक्ति प्रदान करती है। यदि इसका उपयोग सही मात्रा और विधि से किया जाए, तो यह अनेक रोगों से मुक्ति का साधन बन सकती है। आयुर्वेद की इस अमूल्य देन का लाभ उठाएं, लेकिन सावधानी पूर्वक।


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