चतुर्थी व्रत और संतान प्राप्ति का गहरा संबंध
सनातन धर्म में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभ फल देने वाला देवता माना गया है। मान्यता है कि जो दंपत्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक चतुर्थी व्रत करते हैं तथा गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करते हैं, उन्हें शीघ्र ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।
🛐 चतुर्थी व्रत करने की विधि:
- प्रत्येक माह की शुक्ल या कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को व्रत करें।
- प्रातः स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
- घर में या मंदिर में श्री गणेश जी की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
- उन्हें दूर्वा, शुद्ध जल, सिंदूर, मोदक और लाल फूल अर्पित करें।
- दिनभर व्रत रखें (फलाहार करें या निर्जला रहें अपनी सामर्थ्य अनुसार)।
- संध्या काल में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करें।
📖 गणेश अथर्वशीर्ष पाठ की महिमा:
- गणेश अथर्वशीर्ष पाठ ब्रह्मविद्या के रूप में जाना जाता है।
- प्रतिदिन प्रातः या संध्या को एकाग्रचित्त होकर इसका पाठ करें।
- पाठ से पूर्व और बाद में गणेश जी का ध्यान करें।
🔸 पाठ करने का श्रेष्ठ समय: ब्रह्म मुहूर्त या चतुर्थी तिथि
🔸 संख्या: कम से कम 11 बार पाठ करें, विशेष फल के लिए 21, 51 या 108 बार भी कर सकते हैं।
🧘♀️ संतान प्राप्ति हेतु विशेष मंत्र:
"ॐ गण गणपतये नमः"
प्रतिदिन 108 बार इस बीज मंत्र का जाप करें।
⚠️ सावधानियां:
- व्रत करते समय ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।
- पाठ और पूजा में पूर्ण श्रद्धा और नियम का पालन आवश्यक है।
- गर्भवती स्त्रियां अथवा मासिक धर्म में महिलाएं व्रत या पाठ न करें।
🌸 विशेष सुझाव:
- संतान सुख हेतु संकष्टी चतुर्थी को विशेष रूप से मान्यता है।
- गणेश मंदिर में नारियल चढ़ाकर संतान प्राप्ति की कामना करें।
- मोदक का भोग गणेश जी को अत्यंत प्रिय है, इसका प्रयोग अवश्य करें।
🙏 निष्कर्ष:
चतुर्थी व्रत और गणेश अथर्वशीर्ष पाठ न केवल संतान सुख दिलाने में सहायक है, बल्कि जीवन से हर प्रकार के विघ्न भी दूर करता है। श्रद्धा, भक्ति और नियमपूर्वक यह उपाय करने से निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है।
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