भक्ति मार्ग में सृष्टि कर्म और संहार कर्म क्या है? इसे कैसे पहचानें?

Sachinta maharaj

सनातन धर्म में भक्ति मार्ग केवल पूजा या आराधना का पथ नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा है। इस मार्ग में "सृष्टि कर्म" और "संहार कर्म" दो गहरे आध्यात्मिक तत्व हैं, जिनका समझना एक साधक के लिए अनिवार्य है।



सृष्टि कर्म क्या है?

सृष्टि कर्म वे शुभ और रचनात्मक कर्म होते हैं जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, नई शुरुआत और निर्माण का कारण बनते हैं। ये कर्म:

  • प्रेम, करुणा, सेवा और सहयोग को जन्म देते हैं।
  • मन और आत्मा में शांति, श्रद्धा और ऊर्जा भरते हैं।
  • नए अवसरों और रिश्तों का निर्माण करते हैं।
  • जीवन में सद्गुणों का विकास करते हैं।

उदाहरण:

  • किसी भूखे को भोजन कराना।
  • ईश्वर की आराधना में लीन रहकर सेवा करना।
  • किसी का उत्साह बढ़ाना।
  • सत्संग और भजन कीर्तन में भाग लेना।

संहार कर्म क्या है?

संहार कर्म वे कर्म होते हैं जो नकारात्मकता, मोह, अहंकार या अनाचार के नाश के लिए आवश्यक होते हैं। यह केवल विनाश नहीं, बल्कि शुद्धि और बदलाव की प्रक्रिया है।

  • बुरी आदतों का त्याग करना।
  • अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या जैसे दोषों को समाप्त करना।
  • झूठ, छल, पाप और अज्ञान का नाश करना।

उदाहरण:

  • आत्मनिरीक्षण कर अपने दोषों को पहचानना और सुधारना।
  • बुराई के विरुद्ध खड़ा होना (धर्म की रक्षा हेतु).
  • मोह-माया से विरक्त होकर ईश्वर भक्ति में लीन होना।

भक्ति में इनकी पहचान कैसे करें?

1. भाव से समझें:

यदि कोई कर्म करने से भीतर शांति, प्रेम और पवित्रता का अनुभव हो – वह सृष्टि कर्म है। यदि वह कर्म आत्मशुद्धि या किसी दोष के अंत की ओर ले जाए – वह संहार कर्म है।

2. गुरु मार्गदर्शन से:

आध्यात्मिक गुरु से मार्गदर्शन लेकर अपने कर्मों का मूल्यांकन करें।

3. साक्षी भाव रखें:

अपने कर्मों को तटस्थ होकर देखें – क्या वे निर्माण कर रहे हैं या शुद्धिकरण कर रहे हैं?


निष्कर्ष

भक्ति मार्ग में दोनों ही – सृष्टि कर्म और संहार कर्म – आवश्यक हैं। एक बिना दूसरे के अधूरा है। सृष्टि कर्म से प्रेम और भक्ति का विस्तार होता है, जबकि संहार कर्म से अहंकार और अज्ञान का नाश।

👉 सद्गुरु का साथ, शास्त्र का ज्ञान और आत्मा की सच्चाई – यही है सच्चे कर्मों की पहचान।


  • सृष्टि कर्म क्या है?
  • संहार कर्म का अर्थ
  • भक्ति मार्ग में कर्मों की पहचान
  • आध्यात्मिक जीवन में रचनात्मक और विनाशकारी कर्म
  • सृष्टि और संहार का महत्व सनातन धर्म में
To Top