पुत्रदा एकादशी व्रत से संतान प्राप्ति और पुत्र प्राप्ति का चमत्कारी उपाय 🪔

Sachinta maharaj

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है। वर्ष में दो बार आने वाली पुत्रदा एकादशी उन दंपतियों के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है जो संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं, विशेषकर पुत्र रत्न की इच्छा रखते हैं।


📅 पुत्रदा एकादशी कब आती है?

पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार आती है:

  1. पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी – इसे पौष पुत्रदा एकादशी कहते हैं।
  2. श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी – इसे श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता है।

दोनों ही तिथियां संतान प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ मानी जाती हैं।


🙏 व्रत विधि (व्रत कैसे करें?)

  1. व्रत के दिन प्रातः स्नान करके संकल्प लें: "मैं संतान प्राप्ति हेतु पुत्रदा एकादशी का व्रत कर रहा/रही हूं।"
  2. भगवान विष्णु का पूजन करें, विशेष रूप से बाल गोपाल की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है।
  3. दिन भर फलाहार करें और जल की अधिकता से बचें।
  4. रातभर जागरण और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  5. अगले दिन द्वादशी को व्रत पूर्ण करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दें।

🌼 पुत्रदा एकादशी व्रत के लाभ

  • संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  • गर्भाधान में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
  • जिनके संतान नहीं है, उन्हें ईश्वर की कृपा से संतान प्राप्त होती है।
  • गर्भस्थ शिशु को भी शुभ फल और सुरक्षा मिलती है।

📖 पौराणिक कथा (संक्षेप में)

महाभारत में वर्णन आता है कि भद्रावती नामक नगर में सुकेतुमान नामक राजा और उनकी पत्नी शैव्या को संतान नहीं थी। उन्होंने पुत्रदा एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें योग्य पुत्र की प्राप्ति हुई।


🔮 सुझाव और सावधानियां

  • इस व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करें।
  • स्त्रियाँ गर्भधारण की स्थिति में इस दिन विष्णु जी का विशेष पूजन करें तो गर्भस्थ शिशु को आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • व्रत के दौरान झूठ, द्वेष, तामसिक भोजन और क्रोध से बचें।

निष्कर्ष

यदि आप संतान प्राप्ति या विशेष रूप से पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, तो पुत्रदा एकादशी का व्रत अत्यंत फलदायक सिद्ध हो सकता है। यह न केवल शारीरिक स्तर पर आशा देता है बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

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