बाधा निवारण प्रयोग क्या है?
हिन्दू धर्म में जब किसी कार्य में बार-बार बाधाएँ आती हैं, विवाह में विलंब होता है, परिवार में अशांति रहती है या जीवन में सफलता नहीं मिल पाती, तब बाधा निवारण प्रयोग किया जाता है। यह प्रयोग माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का अत्यंत प्रभावशाली उपाय है।
आवश्यक सामग्री (Samagri)
इस प्रयोग को करने के लिए निम्न सामग्री चाहिए:
- जल पात्र
- लाल पुष्प
- लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र
- सुगंधित अगरबत्ती
- शुद्ध घी का दीपक
- कमल गट्टे की माला
समय और दिशा
- समय: दिन का कोई भी समय उपयुक्त
- आसन: लाल रंग का सूती या ऊनी आसन
- दिशा: पूर्व दिशा (साधक को पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए)
- जप संख्या: 108 बार प्रतिदिन
- अवधि: 5 दिन, 11 दिन या 21 दिन तक
बाधा निवारण मंत्र
👉 “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं”
प्रयोग की विधि
- साधक किसी भी बुधवार से यह साधना प्रारंभ करे।
- प्रातः स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें।
- लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें।
- मूर्ति के सामने दीपक, अगरबत्ती जलाकर सामान्य पूजन करें।
- संबंधित मंत्र “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं” का जप शुरू करें।
- निर्धारित अवधि (5, 11 या 21 दिन) तक प्रतिदिन मंत्र का जाप करें।
प्रयोग का प्रभाव
- विवाह कार्य में आ रही बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।
- परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- व्यापार और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- घर में लक्ष्मी का वास होता है और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
साधना पूर्ण होने पर क्या करें?
- साधना समाप्ति पर किसी ब्राह्मण-पुत्र या कुँवारी कन्या को भोजन कराएँ।
- वस्त्र, दक्षिणा, भेंट आदि देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
- लक्ष्मी जी की मूर्ति को अपने घर या पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- ऐसा करने से भविष्य के सभी कार्य बिना किसी बाधा के सम्पन्न होते हैं।
निष्कर्ष
बाधा निवारण प्रयोग जीवन की हर समस्या का समाधान है। यह प्रयोग व्यक्ति को शांति, सुख, वैभव और सफलता दिलाता है। यदि जीवन में बार-बार असफलता मिल रही हो या कोई कार्य अटक रहा हो, तो यह प्रयोग आपके लिए चमत्कारी सिद्ध हो सकता है।
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