गौरीशंकर रुद्राक्ष से भाग्य परिवर्तन | महत्व, लाभ और धारण विधि

Sachinta maharaj

शंकर-पार्वती रुद्राक्ष से भाग्य परिवर्तन

परिचय

हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को विशेष महत्व दिया गया है। विशेष रूप से गौरीशंकर रुद्राक्ष को सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह रुद्राक्ष भगवान शिव और माता पार्वती के संयुक्त स्वरूप का प्रतीक है। मान्यता है कि इसे धारण करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का प्रवेश होता है।


गौरीशंकर रुद्राक्ष का महत्व

  • गौरीशंकर रुद्राक्ष को प्राप्त करना दुर्लभ होता है, लेकिन यदि यह मिल जाए तो जीवन में सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं।
  • जिस घर में यह रुद्राक्ष होता है, वहाँ सौभाग्य, दाम्पत्य सुख और पारिवारिक शांति बनी रहती है।
  • यह रुद्राक्ष पति-पत्नी के बीच प्रेम और आपसी समझ को बढ़ाता है।
  • इसे धारण करने वाले व्यक्ति को कभी भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता।

प्रयोग विधि

गौरीशंकर रुद्राक्ष को धारण करने से पहले विशेष विधि का पालन करना आवश्यक है।

  1. सोमवार के दिन प्रातः स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए इस रुद्राक्ष को शुद्ध गंगाजल से धोकर पूजा करें।
  3. रुद्राक्ष को धारण करते समय निम्न मंत्र का 108 बार जप करें:

मंत्र

ॐ ह्रीं नमः श्री कमलधारिणी हंसः स्वाहा।

  1. इस प्रयोग को लगातार 16 सोमवार तक करें।
  2. पूर्ण होने पर रुद्राक्ष को गले में धारण करें।

लाभ

गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करने से निम्न लाभ प्राप्त होते हैं:

  • पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
  • पति-पत्नी के संबंधों में मधुरता आती है।
  • आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और धन का अभाव नहीं होता।
  • जीवन में सभी प्रकार के दुख और कष्ट समाप्त होते हैं।
  • आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

निष्कर्ष

यदि आप जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और सुख की प्राप्ति चाहते हैं तो गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करना बेहद फलदायी सिद्ध होता है। शिव-पार्वती का यह रुद्राक्ष न केवल दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाता है, बल्कि यह आर्थिक और आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग भी खोल देता है।

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