वास्तु के 8 प्रकार के दोष और उनके समाधान | Learn how to identify and fix common Vastu defects like

Sachinta maharaj

वास्तु दोष: एक विस्तृत गाइड और उनके समाधान

वास्तु शास्त्र के प्राचीन विज्ञान में, घर सिर्फ एक इमारत नहीं है; यह एक ऐसा स्थान है जहाँ ब्रह्मांडीय ऊर्जाएं आपस में क्रिया करती हैं। एक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध जीवन सुनिश्चित करने के लिए, वास्तु सिद्धांत किसी भी इमारत के सही निर्माण और व्यवस्था का मार्गदर्शन करते हैं। हालांकि, कुछ संरचनात्मक या पर्यावरणीय तत्व वास्तु दोष बना सकते हैं।


ये दोष सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बाधित कर सकते हैं, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। एक संतुलित और सुखी जीवन के लिए इन दोषों और उनके समाधान को समझना महत्वपूर्ण है।

1. द्वार-वेध (मुख्य द्वार पर बाधा)

किसी भी घर का मुख्य प्रवेश द्वार सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, क्योंकि यह ऊर्जा के लिए प्राथमिक प्रवेश द्वार है। मुख्य द्वार के ठीक सामने कोई भी बाधा द्वार-वेध कहलाती है। माना जाता है कि यह दोष सूरज की रोशनी और हवा के प्रवेश को रोकता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा जमा होती है।

दी गई तस्वीरों में कई प्रकार के द्वार-वेध सूचीबद्ध हैं:

 * तल वेध: प्रवेश द्वार के ठीक सामने एक दीवार, खंभा, या बाड़ जैसी बाधा।

 * कोन वेध: किसी दूसरी इमारत का कोना ठीक प्रवेश द्वार के सामने होना।

 * कोल वेध: दरवाजे के ठीक सामने किसी जानवर को बाँधना।

 * स्वर वेध: एक चरमराती हुई आवाज़, जो अशुभ मानी जाती है।

 * कूप वेध: घर के सामने एक कुआँ या पानी की टंकी।

 * तुलसी वेध: एक तुलसी का पौधा प्रवेश द्वार पर सीधे लगा होना।

समाधान: इस दोष को दूर करने के लिए, प्रवेश द्वार के सामने घर की ऊँचाई से कम से कम दोगुनी जगह खाली छोड़नी चाहिए। इससे ऊर्जा का प्रवाह शांतिपूर्ण और अबाधित होता है।

2. छाया-वेध (छाया दोष)

किसी बड़ी वस्तु की छाया का घर पर पड़ना छाया-वेध कहलाता है। इसे एक महत्वपूर्ण वास्तु दोष माना जाता है क्योंकि यह प्राकृतिक सूर्य के प्रकाश के लाभों को रोक सकता है और नकारात्मकता की भावना पैदा कर सकता है।

दिए गए स्रोत कई प्रकार के छाया-वेध का उल्लेख करते हैं:

 * मंदिर की छाया: किसी मंदिर की छाया का घर पर पड़ना बहुत अशुभ माना जाता है।

 * पर्वत या पहाड़ी की छाया: घर के पूर्व में एक पहाड़ या पहाड़ी का होना, जिसकी छाया सूर्योदय के समय पड़ती है, वह भी एक दोष माना जाता है।

 * बड़े पेड़ की छाया: एक बड़े, पुराने पेड़ की छाया का घर पर पड़ना घर की नींव को कमजोर कर सकता है और दीवारों को चटका सकता है।

समाधान: छाया-वेध से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बड़ी वस्तु आपके घर पर छाया न डाले, खासकर मुख्य प्रवेश द्वार पर। आपको पेड़ों को भी घर से इतनी दूर लगाना चाहिए कि उनकी छाया घर पर न पड़े।

3. वृक्ष-वेध (पेड़ का दोष)

एक स्वस्थ पर्यावरण के लिए पेड़ आवश्यक हैं, लेकिन वास्तु के अनुसार उनका स्थान महत्वपूर्ण है। वृक्ष-वेध घर के पास पेड़ों के अनुचित स्थान के कारण होने वाले दोषों को संदर्भित करता है।

पाठ में उल्लेखित मुख्य बिंदु हैं:

 * मुख्य प्रवेश द्वार के ठीक सामने एक बड़ा, पुराना या सूखा पेड़ होना अशुभ माना जाता है। यदि वह गिरता है तो यह निवासियों के लिए एक खतरा बन सकता है।

 * घर के बहुत करीब फल देने वाले पेड़ लगाना भी अशुभ है, क्योंकि वे कीड़े-मकोड़ों को आकर्षित कर सकते हैं।

समाधान: पाठ में घर के चारों ओर पेड़ लगाने के लिए एक स्पष्ट आरेख दिया गया है।

 * पूर्व: पीपल शुभ होता है।

 * दक्षिण: गूलर शुभ होता है।

 * पश्चिम: पीपल शुभ होता है।

 * उत्तर: पाकद (बट वृक्ष का एक प्रकार) शुभ होता है।

 * केंद्रीय क्षेत्र: घर के केंद्र में कोई भी बड़ा पेड़ लगाने से बचें।

प्रवेश द्वार और आंगन के लिए, पाठ में केला, चमेली, चंपा पाटल और अन्य सुगंधित, सुंदर फूल वाले पौधे लगाने का सुझाव दिया गया है। तुलसी का पौधा भी अत्यधिक पवित्र माना जाता है और इसे आंगन में कहीं भी लगाया जा सकता है।

4. मार्ग-वेध (सड़क का दोष)

किसी सड़क या रास्ते के संबंध में किसी घर का स्थान भी मार्ग-वेध नामक वास्तु दोष पैदा कर सकता है।

दी गई तस्वीरों के अनुसार, इन दोषों में शामिल हैं:

 * दो घरों के बीच से गुजरने वाली सड़क या गली।

 * घर के सामने एक त्रिकोणीय आकार की भूमि या सड़क जंक्शन।

 * घर के ठीक सामने एक कारखाना या एक बड़ी, ऊँची दीवार।

समाधान: माना जाता है कि ये दोष घर के मालिक के लिए विभिन्न कठिनाइयाँ पैदा करते हैं। इन्हें कम करने के लिए, ऐसे भूखंड का चयन करना महत्वपूर्ण है जो सीधे ऐसी बाधाओं के सामने न हो। यदि दोष मामूली है, तो एक शुभ पेड़ या एक छोटा पौधा लगाना मदद कर सकता है।

निष्कर्ष

वास्तु शास्त्र प्रकृति और ब्रह्मांड के साथ सद्भाव में रहने का एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। मुख्य प्रवेश द्वार, पेड़ के स्थान और आसपास के वातावरण जैसे विवरणों पर ध्यान देकर, आप सामान्य वास्तु दोषों को रोक सकते हैं और उनका समाधान कर सकते हैं। यह आपको एक ऐसा स्थान बनाने में मदद कर सकता है जो समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशी को बढ़ावा दे।

क्या आपने कभी अपने घर के वास्तु पर विचार किया है? ऊर्जा के प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए आप एक बदलाव क्या कर सकते हैं?


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