मंगल ग्रह का कर्क व मकर राशि में प्रभाव – जीवन पर शुभ-अशुभ परिणाम Batch
🌌 ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति का विशेष महत्व है। जब हम जन्म कुंडली बनाते हैं तो ग्रहों की स्थितियां व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती हैं। इसी कड़ी में एक रोचक तथ्य है – मंगल ग्रह जब कर्क राशि (Cancer) में आता है तो नीचे (नीच) हो जाता है, जबकि मकर राशि (Capricorn) में उच्च (उत्तम) माना जाता है।
🔴 मंगल ग्रह और कर्क राशि – नीच का रहस्य
मंगल ग्रह का स्वभाव गर्म, तेज और सक्रिय होता है। वहीं कर्क राशि चंद्रमा के प्रभाव में है, जो संवेदनशीलता, भावुकता और स्थिरता का प्रतीक है। इन दोनों के स्वभाव में मूलतः विरोधाभास है।
👉 शास्त्रीय दृष्टि से – कर्क राशि में मंगल कमजोर हो जाता है क्योंकि वहां उसकी ऊर्जा पूरी तरह से अभिव्यक्त नहीं हो पाती।
👉 वैज्ञानिक दृष्टि से समझें तो – मंगल ग्रह एक गरम और उग्र ग्रह है, जबकि चंद्रमा जो कर्क राशि का स्वामी है, ठंडक, स्नेह और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। अतः यह विरोधाभाव ग्रह की प्रभावशीलता को कम कर देता है।
🟢 मंगल ग्रह और मकर राशि – उच्च का रहस्य
मकर राशि का स्वामी शनि ग्रह है, जो अनुशासन, कर्मयोग और स्थिरता का प्रतीक है। मंगल ग्रह की क्रियाशीलता और साहस मकर राशि में शक्तिशाली रूप से कार्य करती है।
👉 शास्त्रीय दृष्टि से – मकर राशि में मंगल उच्च को प्राप्त होता है, क्योंकि यहाँ उसकी ऊर्जा सही दिशा में मार्गदर्शित होती है।
👉 वैज्ञानिक दृष्टि से – मकर राशि का ठोस और कर्मशील स्वभाव मंगल के स्वभाव के अनुरूप होता है, जिससे वह बलशाली रूप से कार्य करता है।
🔴 1️⃣ मंगल ग्रह कर्क राशि में नीच – व्यक्तित्व पर प्रभाव
👉 स्वभाव में कमजोरी
- व्यक्ति में साहस, आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता में कमी हो सकती है।
- कठिनाइयों से मुकाबला करने में हिचकिचाहट बनी रहती है।
- क्रोध अधिक उत्पन्न होता है, लेकिन उसे सही तरीके से व्यक्त नहीं कर पाता।
👉 स्वास्थ्य पर असर
- पेट और पाचन से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं।
- मानसिक तनाव और अस्थिरता बनी रहती है।
👉 कार्य और संबंध
- कार्यक्षेत्र में संघर्ष, विरोधी से परेशानियाँ आ सकती हैं।
- पारिवारिक जीवन में अनबन और मनमुटाव हो सकता है।
- निर्णय लेने में विलंब होता है।
👉 भावनात्मक स्थिति
- अत्यधिक संवेदनशीलता और भावनात्मक अस्थिरता बनी रहती है।
- खुद को असुरक्षित महसूस करना।
🟢 2️⃣ मंगल ग्रह मकर राशि में उच्च – व्यक्तित्व पर प्रभाव
👉 स्वभाव में मजबूती
- साहस, आत्मविश्वास और कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
- कर्मठता और अनुशासन का विकास होता है।
- कठिन परिस्थितियों में भी संघर्ष करने की क्षमता प्राप्त होती है।
👉 स्वास्थ्य पर असर
- शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।
- शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।
👉 कार्य और संबंध
- नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है।
- व्यावसायिक सफलता मिलती है।
- पारिवारिक और सामाजिक संबंध मजबूत बनते हैं।
👉 आर्थिक स्थिति
- आर्थिक स्थिति स्थिर और बढ़ती रहती है।
- निवेश और मेहनत का उचित फल मिलता है।
✅ निष्कर्ष:
ज्योतिष शास्त्र का यह सिद्धांत गहराई से मानव स्वभाव और ग्रहों की ऊर्जा पर आधारित है।
🔸 कर्क राशि में मंगल ग्रह नीच माना जाता है क्योंकि यह राशि उसकी शक्तियों के प्रतिकूल है। संघर्ष, स्वास्थ्य समस्या, निर्णय लेने में कठिनाई।
विशेष उपाय :- (जैसे हनुमान पूजा, मंगली दोष निवारण आदि) करना फायदेमंद रहेगा।
🔸 मकर राशि में मंगल उच्च होता है क्योंकि दोनों ग्रहों का स्वभाव सामंजस्यपूर्ण होता है। सफलता, स्वास्थ्य अच्छा, आत्मविश्वास व अनुशासन में बढ़ोतरी।
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