Vastu for Commercial Complex: व्यापार में सफलता के लिए 20 अचूक वास्तु टिप्स

Sachinta maharaj

व्यावसायिक सफलता का द्वार: वास्तु विज्ञान के अनुसार बनाएं अपना 'कमर्शियल कॉम्प्लेक्स'
Vastu Tips for Commercial Complex | Vastu Shastra for Business Growth

क्या आप जानते हैं कि आपके कमर्शियल कॉम्प्लेक्स (Commercial Complex) का निर्माण कार्य आपके व्यापार की सफलता को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है? वास्तु विज्ञान, एक प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला है, जो सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित कर, व्यापार में समृद्धि (Prosperity) और लाभ (Profit) लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


आज के इस प्रतिस्पर्धा भरे दौर में, जहाँ हर कोई अपने व्यापार को नई ऊँचाइयों पर ले जाना चाहता है, वहाँ वास्तु-अनुकूल (Vastu Compliant) कॉम्प्लेक्स का निर्माण सोने पर सुहागा साबित हो सकता है।

यहाँ हम आपके लिए लाए हैं, वास्तु विज्ञान के महत्वपूर्ण सिद्धांत, जिनका पालन करके आप अपने कॉम्प्लेक्स को अधिकतम उपयोगी और सफल बना सकते हैं:

1. प्लॉट और ढलान: सही दिशा का चयन

 * प्लॉट का आकार (Plot Shape): कॉम्प्लेक्स के निर्माण के लिए हमेशा चौकोर (Square), समसाकार (Rectangular) और समकोणीय (Right-angled) भूखंड (Plot) का ही चुनाव करें। इससे भूखंड स्वामी और व्यापार करने वालों को अधिकतम लाभ होता है।

 * ईशान कोण की महत्ता (Importance of North-East): ईशान दिशा (उत्तर-पूर्व) को शुभ और सर्वोत्तम माना जाता है। लॉन, पार्किंग और भूखंड का ढलान हमेशा इसी ईशान कोण में रखें।

 * दक्षिण-पश्चिम का ऊंचा होना: नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) हमेशा उठा हुआ (Raised) होना चाहिए, क्योंकि यह स्थिरता (Stability) प्रदान करता है।

2. प्रवेश द्वार और खुली जगह: सकारात्मकता का प्रवाह

 * मुख्य प्रवेश द्वार (Main Entrance): कॉम्प्लेक्स का मुख्य प्रवेश द्वार, आवागमन की दिशा जहाँ तक हो सके, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर ही रखें।

 * सुरक्षा और निगरानी (Security): मुख्य प्रवेश द्वार और निर्गमन द्वार पर दो पहरेदार (Watch-men) और सुरक्षा गार्ड (Security Guard) तैनात करना बेहद जरूरी है।

 * खुली जगह (Open Space): कॉम्प्लेक्स के चारों ओर, विशेषकर उत्तर और पूर्व दिशाओं में, पश्चिम और दक्षिण की तुलना में अधिक जमीन खाली छोड़नी चाहिए। यह सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करता है।

3. हवा, प्रकाश और आंतरिक व्यवस्था: प्रकृति से तालमेल

 * प्राकृतिक प्रकाश और वायु (Natural Light & Air): कॉम्प्लेक्स की दुकानें या ऑफिस प्रायः चारों दिशाओं में बनाए जाते हैं। यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक कमरे, कक्ष, ऑफिस या दुकान में सूर्य और चंद्र की रोशनी और स्वच्छ वायु (Fresh Air) का प्रवेश बिना किसी बाधा के हो। वास्तु की सार्थकता तभी है जब आप प्राकृतिक प्रकाश और वायु का समुचित ध्यान रखें।

 * कमरों की दिशा (Room Orientation): अधिक कमरे, ऑफिसों और दुकानों की संख्या पूर्व या उत्तर दिशा में अधिक होनी चाहिए।

 * स्टोर/गोदाम और सीढ़ियाँ (Store/Stairs): गोदाम कक्ष (Store-Room) को हमेशा दक्षिण या पश्चिम विभाग में बनाना चाहिए। सीढ़ियाँ प्रायः दक्षिण या पश्चिम विभाग में ही बनानी चाहिए। ईशान दिशा में सीढ़ियाँ बनाना अशुभ होता है।

 * शौचालय/टॉयलेट (Toilet): संलग्न बाथरूम और टॉयलेट की व्यवस्था नैऋत्य कोण (South-West) दिशा में ही होनी चाहिए।

4. जल और विद्युत व्यवस्था: पंच तत्वों का संतुलन

 * बोरवेल और पानी की टंकी (Borewell & Water Tank): बोरवेल हमेशा ईशान कोण में ही खुदवाएँ। यह सर्वोत्तम स्थान है। इसके विपरीत, सबसे ऊपरी छत पर पानी की टंकी का निर्माण भी ईशान कोण, पूर्व या उत्तर तथा पश्चिम दिशा में ही रखें। अग्निकोण (दक्षिण-पूर्व), वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम), नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) और बीचों-बीच टंकी बनाना अशुभ कार्य है।

 * वर्षा और गंदा पानी (Drainage): बरसाती पानी का निकास हो, चाहे गंदे पानी की नालियाँ, उनका बहाव उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। गंदे पानी के निकास हेतु गटर होल (Gutter Hole) नैऋत्य दिशा में रखें।

 * विद्युत व्यवस्था (Electrical System): कॉम्प्लेक्स की विद्युत व्यवस्था चुस्त और सरल होनी चाहिए। भारत में लाइट आने-जाने की समस्या को देखते हुए, लिफ्ट में व्यक्तियों के बाहर निकलने पर लाइट की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए ताकि शुद्ध ऑक्सीजन की कमी से घुटन न हो।

5. निर्माण और ऊंचाई संबंधी नियम

 * मंजिल की ऊंचाई (Floor Height): नीचे की मंजिल की ऊंचाई, अन्य मंजिल से थोड़ी बड़ी होनी चाहिए। इसी प्रकार, प्रथम मंजिल का प्रवेश द्वार की ऊंचाई अन्य सभी द्वारों की ऊंचाई से कुछ अधिक होनी चाहिए।

 * ऊपर की मंजिलें: कॉम्प्लेक्स की जितनी मंजिलें हों, तुलनात्मक दृष्टि से नीचे की मंजिल से कम-कम होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि प्रथम मंजिल 10 फीट की है, तो द्वितीय मंजिल 9, तृतीय 8.5, चतुर्थ 8, पंचम 7.5, तथा छठी मंजिल 7 फीट-का आनुपातिक ऊंचाई में होनी चाहिए। इससे कॉम्प्लेक्स में चुंबकीय तत्व और संगठनात्मक शक्ति संतुलित रहती है।

 * एक्स्ट्रा निर्माण (Additional Structures): कॉम्प्लेक्स के ऊपर पानी की टंकी, एंटीना, एयर पाइप, ध्वज या विज्ञापन की सामग्री लगाते समय वे ऊपर और समान अनुपात में हों।


इन वास्तु सिद्धांतों का पालन करके आप न सिर्फ अपने कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के लिए एक सकारात्मक (Positive) और उत्पादक (Productive) वातावरण निर्मित करेंगे, बल्कि व्यापार में निरंतर वृद्धि (Consistent Growth) और अभूतपूर्व सफलता (Tremendous Success) के मार्ग भी खोलेंगे।


क्या आप अपने व्यापार के लिए एक वास्तु-अनुकूल कॉम्प्लेक्स बनाना चाहेंगे? Whatsapp पर हमे  अपने विचार साझा करें!


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