भवन दोष: 22 प्रमुख वास्तु दोष और उन्हें पहचानने के आसान तरीके | Vastu Dosh List in Hindi

Sachinta maharaj

भवन दोष: 22 प्रकार के वास्तु दोषों की पूरी सूची और निवारण के अचूक उपाय

परिचय 

हर व्यक्ति अपने घर को सुख-शांति और समृद्धि का केंद्र बनाना चाहता है, लेकिन जाने-अनजाने में निर्माण के दौरान या बाद में कुछ ऐसी कमियां रह जाती हैं जिन्हें "भवन दोष" या "वास्तु दोष" कहा जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, ये दोष घर में नकारात्मक ऊर्जा लाते हैं, जिससे परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य, धन और रिश्तों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।


क्या आप जानते हैं कि वास्तु दोष केवल दिशाओं तक सीमित नहीं हैं? प्राचीन ग्रंथों में 22 से भी अधिक प्रकार के दोषों का वर्णन किया गया है। आज हम ऐसे ही 22 प्रमुख भवन दोषों (जो आपने साझा किए हैं) और उनके महत्व को जानेंगे।

वास्तु शास्त्र में भवन दोष क्या है? What are Vastu Dosh

वास्तु दोष का संबंध भवन निर्माण की उस प्रक्रिया से है जो प्रकृति के नियमों या पंच तत्वों के संतुलन के विपरीत हो। आपके द्वारा साझा किए गए प्राचीन पाठ में इन दोषों को बेहद अप्रशस्त (अशुभ) माना गया है। उदाहरण के लिए:

 * वेद दोष: द्वार के सामने कोई वस्तु (जैसे खंभा, पेड़, कुआं) या मार्ग का अवरोध। इसे अत्यंत अशुभ माना जाता है।

 * भंग दोष: घर की संरचना में टेढ़ापन या विसंगति, जैसे तोरण-भंग।

 * अलिंद दोष: घर में अलिंद (आंगन) का गलत स्थान या निवेश।

 * मर्मपीड़न: स्तंभ-दोष, द्वार-दोष, तुला-दोष, भित्ति-दोष आदि का संबंध सीधे भवन की संरचना से है।


भवन दोषों की एक अतिलघु सूची (22 प्रमुख दोष): Major Vastu Defects (List)

आपके द्वारा साझा किए गए ग्रंथ के अनुसार, यहाँ 22 प्रमुख भवन दोषों की सूची दी गई है:

 * उच्चच्छाद (ऊंचा साया)

 * छिद्रगर्भ (छिद्रयुक्त गर्भ)

 * भ्रामित (भ्रम पैदा करने वाला)

 * हीनमध्य (मध्य भाग का नीचा होना)

 * वमितमुख (बाहर की ओर मुँह वाला)

 * नष्टसूत्र (जिसकी रेखाएं नष्ट हों)

 * शल्यविद्ध (कील आदि से वेधा हुआ)

 * शिरोगुंह (सिर में गुफा जैसा)

 * भ्रंशालिकदोषभ (भ्रष्ट दोष वाला)

 * विषमस्थ (विषम स्थान वाला)

 * तुलालात (तुल्य लाट वाला)

 * अन्योन्यद्रव्यविद्ध

 * कुप्रदप्रविभाजित (गलत तरीके से विभाजित)

 * हीनभौतिक (कमजोर भौतिक संरचना)

 * हीन-उत्त्तमंग (हीन ऊपरी भाग)

 * विनष्टु

 * स्तंर्भाभौतिक

 * भिन्नशाल (अलग-अलग कमरे)

 * व्यत्तकंठ (खुलकर बात न करने वाला)

 * निष्कंद

 * मानवर्जित (माप से रहित)

 * विकृत (बदला हुआ/कुरूप)


घर में वास्तु दोष कैसे पहचानें?  How to Identify and Simple Remedies

ये दोष अक्सर हमारे जीवन में अप्रत्यक्ष रूप से समस्याएं पैदा करते हैं। कुछ आम संकेत हैं:

 * आर्थिक तंगी: अचानक खर्चे बढ़ना या धन हानि होना।

 * लगातार बीमारी: परिवार के किसी सदस्य का बार-बार बीमार पड़ना।

 * रिश्तों में क्लेश: बिना किसी ठोस वजह के घर में झगड़े और मानसिक तनाव रहना।

 * मुख्य द्वार पर अवरोध: घर के प्रवेश द्वार के ठीक सामने कोई बड़ा खंभा, सूखा पेड़ या कूड़ेदान होना।

भवन दोष निवारण के सरल उपाय:

अगर आपके घर में कोई गंभीर दोष है, तो विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है, लेकिन कुछ सरल उपाय मदद कर सकते हैं:

 * स्वच्छता और रोशनी: घर को हमेशा व्यवस्थित, साफ-सुथरा और पर्याप्त रोशनी वाला रखें।

 * मुख्य द्वार: मुख्य द्वार पर स्वस्तिक या गणेश जी की मूर्ति/तस्वीर लगाएं।

 * ईशान कोण (उत्तर-पूर्व): इस दिशा को हमेशा हल्का और स्वच्छ रखें।

 * टपकते नल: अगर घर में कोई नल टपक रहा है, तो उसे तुरंत ठीक करवाएं, यह धन हानि का संकेत है।

 * वास्तु यंत्र: विशेषज्ञ की सलाह पर उचित स्थान पर वास्तु दोष निवारण यंत्र स्थापित करें।

निष्कर्ष 

भवन दोष केवल निर्माण की खामियां नहीं हैं, बल्कि ये हमारे जीवन की ऊर्जा को प्रभावित करते हैं। वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करके, हम इन दोषों के नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं और अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-शांति और समृद्धि ला सकते हैं।


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