व्यापार में सफलता और समृद्धि के लिए ज्योतिषीय और वास्तु उपाय: एक सम्पूर्ण गाइड
क्या आपके व्यापार में लगातार रुकावटें आ रही हैं? क्या लाभ होने के बावजूद शांति नहीं है?
हर व्यवसायी अपने व्यापार में वृद्धि, सफलता और निरंतर लाभ की कामना करता है। लेकिन कई बार वास्तु दोष, नजर दोष, या अन्य बाधाओं के कारण सफलता दूर रहने लगती है। प्रस्तुत है आपके व्यापार को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्राचीन ग्रंथों में वर्णित कुछ अचूक ज्योतिषीय और वास्तु उपाय।
I. व्यवहार और नैतिकता से जुड़ी बातें
1. मधुर व्यवहार ही व्यापार का मूलमंत्र:
व्यवसायी को हमेशा सहज, मधुर और विनम्र व्यवहार अपनाना चाहिए। आपका मृदुल और स्नेही व्यवहार ग्राहकों को आकर्षित करता है, जिससे लक्ष्मी में वृद्धि होती है और यश-कीर्ति का विस्तार होता है।
2. दान और धर्मकार्य:
व्यापार में होने वाले विशुद्ध लाभ का कुछ अंश (जैसे छठा हिस्सा या दशमांश) धर्मकार्य या प्राणी मात्र के कल्याण में लगाना चाहिए। यह न केवल आत्मिक सुख देता है, बल्कि जन-कल्याण, लोक-कल्याण और व्यापार की उन्नति में भी सहायक होता है।
II. नज़र दोष और नकारात्मकता निवारण
1. 'इन्द्राणी यंत्र' की स्थापना:
यदि व्यापार में बार-बार हानि हो रही हो या निरंतर उतार-चढ़ाव बना रहे, तो किसी वास्तुविद से सलाह लेकर दूकान में विधिपूर्वक 'इन्द्राणी यंत्र' स्थापित करना चाहिए।
2. नींबू-मिर्च का प्रयोग:
प्रतिस्पर्धा, ईर्ष्या और सामान्य 'नजर' के कारण व्यापार की गति में जड़ता आ सकती है। इस दोष के निवारणार्थ, हर शनिवार को दूकान, कार्यालय या प्रतिष्ठान के बाहरी स्तंभों पर नींबू व सात हरी मिर्च बांधनी चाहिए। इसे ऐसी जगह लगाएं जहां सब की नज़र पड़े।
3. 'सिद्ध बीसा यंत्र' की शक्ति:
यदि आपको लगे कि किसी के शाप, दुराशीष या बददुआ का असर हो रहा है, तो सिद्ध बीसा यंत्र को दूकान की चौखट या देहली के ऊपर लगाना चाहिए। यह जगदम्बा के निर्वाण मंत्र की शक्ति से युक्त होकर दूकान की रक्षा करता है।
III. सरकारी/राजकीय विपत्ति और कालदोष निवारण
1. 'यमकीलक यंत्र' की स्थापना:
यदि दूकान या व्यापार में लूटपाट आदि से विनाश की स्थिति बन रही हो, तो 'यमकीलक यंत्र' की स्थापना करनी चाहिए, जिससे कालदोष का निवारण हो सके।
2. 'सूर्यंयंत्र' की स्थापना:
यदि आप सरकारी तंत्र द्वारा बार-बार परेशान (संस्त्रस्त) किए जा रहे हों या किसी अन्य प्रकार की राजकीय विपत्ति से ग्रस्त हों, तो सर्वविघ्न निवारक 'सूर्यंयंत्र' की स्थापना करनी चाहिए।
IV. व्यापार में अशांति और कलह का समाधान
1. श्रीलक्ष्मीसहस्रनाम का पाठ:
यदि व्यवसाय लाभप्रद रहने के बावजूद अशांति बनी रहे, विवाद होता रहे अथवा साझेदारों के मध्य कलह की स्थिति बनी रहे, तो दूकान या प्रतिष्ठान में श्रीलक्ष्मीसहस्रनाम का पाठ कराना चाहिए।
2. गौरी-गणेश का विशेष उपाय (दरिद्रता निवारण):
यदि दूकान में मन न लगे, बरकत न हो, या रुपए-पैसे का बराबर आवागमन न हो पाए, तो दूकान की देहली अथवा मुख्य द्वार की चौखट के ऊपर आगे-पीछे गणपति की मूर्ति लगानी चाहिए। यह दरिद्रता को बाहर की ओर से पीठ दिखाती है। इसके साथ ही, चांदी का श्रीयंंत्र (सिक्के साइज़ वाला) श्वेत गणपति के साथ चौखट पर स्थापित करें।
V. दैनिक पूजा और स्थापना नियम
1. गणेश जी की स्थापना:
दूकान में श्रीगणेश जी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। प्रतिमा दक्षिणाभिमुख न रखें, बल्कि पूजन के गणेश को गल्ले (कैश काउंटर) में विराजित करें।
व्यवसायी को चाहिए कि प्रतिदिन दूकान खोलते समय प्रातःकाल अपने इष्टदेव और कुलदेवताओं को श्रद्धा सहित प्रणाम करें।
2. कुलदेवता और इष्टदेवता:
अपनी दूकान, गद्दी व कार्यालय आदि में कुलदेवता व इष्टदेवता आदि की स्थापना करनी चाहिए। साथ ही, व्यापार में प्रेरणा देने वाले प्रेरक गुरु का चित्र अवश्य लगाना चाहिए।