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आज सोमवती अमावस्या और शनि जयंती के शुभ अवसर पर होगी आपकी इच्छाएं पूरी

आज देशभर में जेठ माह की अमावस्या को शनि जयंती मनाने का विधान है खुद हिंदू धर्म में भी व्रत करना और उसके शुभ फलों की प्राप्ति एवं दान पुण्य पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले पिंडदान व तर्पण के लिए भी अनावश्यक को सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है जेठ की अमावस्या के दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है इन सभी विशेष कारणों से जेठ की अमावस्या का महत्व सनातन धर्म में ज्यादा बढ़ जाता है इस दिन शनिदेव की आराधना वह उनका पूजन का विशेष विधान है जैसे कि हम सभी जानते हैं कि वैदिक ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सूर्य पुत्र शनि देव समस्त नवग्रह में एक है जो कि सबसे धीरे अर्थात मंद गति से चलने की वजह से इन्हें शनिश्चरी नाम की उपाधि दी गई है इन ए कॉल कर्म फल के दाता के नाम से भी जाना जाता है इस विशेष दिन शनि जयंती के साथ उत्तर भारत में विवाहित महिला अपने पति की लंबी आयु के लिए इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखती है
  वट सावित्री व्रत
वट सावित्री व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों का प्रमुख पर्व है हालांकि समय के साथ आजकल इस व्रत का पालन कुमारी और विधवा महिला भी करती है जिसका पूजन भी शनि जयंती यानी जेठ की अमावस्या को किया जाता है इस खास दिन स्त्रियां व्हाट यानी बरगद के वृक्ष की पूजा पूरी विधि विधान से करती है और इस व्रत को अनेक स्तरीय सावित्री की तरह अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगल कामना करती हैं इसी दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस मांगे थे इसलिए इस दिन सत्यवान सावित्री की यमराज के साथ पूजा होती है
सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त
3 जून 2019 सोमवार
सूर्य उदय से दोपहर 3:32 मिनट तक
शनिदेव की पूजा विधि
शनिदेव की पूजा बी अन्य दूसरे देवी देवताओं के समान ही होती है
इसके लिए शनि जयंती पर  प्राय काल उठकर स्नान  से शुद्ध होना चाहिए
फिर लकड़ी के पाठ पर काला वस्त्र बिछाकर शनि यंत्र व शनि देव की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें
इसके बाद पूजा स्थान पर एक सुपारी रखकर  उसके दोनों और शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाएं
शनि देव के प्रतीक स्वरूप को पंचामृत इत्र आदि से स्नान कराकर शुद्ध करें
इसके बाद प्रतिमा या यंत्र पर अबीर गुलाल सिंदूर कुमकुम वह काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें
पंचोपचार पूजन के बाद शनि मंत्र का कम से कम एक माला का जाप अवश्य करें
मंत्र
ॐ शं शनिश्चराय नमः
ॐ प्रा प्री प्रो स: शनिश्चराय नम:
शनि जयंती पर विशेष ध्यान
  शनिदेव की पूजा करने के दिन सूर्य उदय से पहले सरसों की तेल की मालिश कर स्नान करना चाहिए
इसी दिन शनि मंदिर के साथ-साथ हनुमान जी के दर्शन भी जरूर करनी चाहिए
  सनी पूजा के दिन ब्रह्मचार्य का पूरा ध्यान व पालन करना चाहिए
इस दिन कोई भी यात्रा करनी पड़ रही है तो उसे स्थगित कर दें
किसी जरूरतमंद गरीब वृद्ध विकलांग नेत्रहीन को तेल से बनी वस्तुओं का दान करें
आप सभी को सोमवती अमावस्या वट सावित्री और शनि जयंती के अवसर पर महाराज जी की ओर से ढेरों शुभकामनाएं