🌿 अगस्त – एक दिव्य औषधि और उसके अद्भुत लाभ
अगस्त (Agastya) आयुर्वेद में एक दिव्य औषधि के रूप में जानी जाती है, जिसके औषधीय, आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व का वर्णन प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। यह शीतल, रुखा, वायवीर, शीतवीर्य और कड़वे स्वाद वाली होती है। इसकी धूनी से नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत बाधा और नज़र दोष भी दूर होते हैं।
📍 प्राप्ति स्थान
अगस्त मुख्यतः पर्वतीय एवं वन क्षेत्रों में पाई जाती है।
- हिमालयी क्षेत्र
- उत्तराखंड, हिमाचल, नेपाल
- दक्षिण भारत के कुछ शुष्क व ठंडे इलाकों में
- आयुर्वेदिक बागानों और जड़ी-बूटी केंद्रों में
- यह तराई के वन में पायी जाती है
🔍 पहचान
- यह 20 से 30 ऊंचा सघन डालियों से युक्त चिकने भूरे तने वाला होता है ।
- फूल लाल ओर तिरछे होते हैं।
- इसके पते इमली से कुछ बड़े होते है।
- इसकी फलिया 10 से 12 इंच लम्भी होती है।
- कई स्थान पर इसके पतों का साग बना कर खाया जाता है।
- इसकी जड़ औषधीय रूप से सबसे अधिक उपयोगी मानी जाती है।
🌱 गुण
- शीतल – शरीर को ठंडक प्रदान करता है।
- रुखा – अतिरिक्त चिकनाई व कफ को कम करता है।
- वायवीर – वात संतुलन में सहायक।
- शीतवीर्य – पित्त और जलन को शांत करता है।
- कड़वा स्वाद – पाचन व रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार।
💡 उपयोग
- औषधीय प्रयोग – मरगी या उन्माद में नाक में पतों का रस की 3 बुँदे टपकाने से सिर का नजला ठीक होता है। इसके फूलों एव काली मिर्च को गौमूत्र के साथ के साथ पीने से मार्गी या उन्माद का रोग नष्ट होता है। चोट पर इसके पते बाधने से घाव जल्दी ठीक होता है। छाल का रस योनि में रखने से शेवत प्रदर दूर होता है। फूलों का चुरण से जुकाम का रोग खत्म होता है। लाल अगस्त के फूल के रस को नाक में लेने से मलेरिया का रोग समाप्त होता है। बुखार, पित्त विकार, नेत्र रोग में उपयोगी।
- धूनी – घर व मंदिर में अगस्त की धूनी देने से भूत-प्रेत बाधा, नज़र दोष और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- आयुर्वेदिक तेल व लेप – जोड़ों के दर्द और त्वचा रोगों में लाभकारी।
- धार्मिक अनुष्ठान – यज्ञ, हवन और पूजा में शुद्धिकरण हेतु।
✨ दिव्य गुण
- वातावरण को पवित्र और ऊर्जा से भर देता है।
- मानसिक शांति और ध्यान में सहायक।
- नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने की क्षमता।
- घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य लाने वाला।
- गाय का गोबर एक भाग अगस्त के फूलों का चूर्ण एक भाग आक के पत्तों की राख 1/4 भाग घी एक भाग इनका नस्य लेने से उन्माद मृगी भूत बड़ा और सर दर्द दूर होता है।
- अगस्त की जड़ ,छाल, पते, फूल की धूनी धतूरे की जड़ के साथ धूनी देने पर भूत प्रेत बाधा दूर होती है अगर हो सकता है तो इसमें सफेद सरसों लहसुन तिल एवं हींग भी मिलकर अधिक लाभ मिलता है।
⚠️ सावधानी
- गर्भवती महिलाएं और गंभीर रोगों से पीड़ित लोग इसका सेवन आयुर्वेदाचार्य की सलाह से करें।
- अधिक मात्रा में उपयोग से शरीर में ठंडक व कमजोरी बढ़ सकती है।
निष्कर्ष:
अगस्त न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा में बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके औषधीय गुण, शुद्धिकरण क्षमता और दिव्य प्रभाव इसे एक अनमोल धरोहर बनाते हैं।