पुत्र प्राप्ति के लिए संभोग का सरल तरीका | बेटा पाने के उपाय
हर दंपत्ति की यह कामना होती है कि उनके घर संतान सुख का आगमन हो। आजकल विज्ञान और ज्योतिष दोनों ही दृष्टिकोण से यह चर्चा का विषय है कि पुत्र प्राप्ति के लिए किस तरह से संभोग की क्रिया की जाए। इस लेख में हम आपको बताएंगे – पुत्र प्राप्ति के लिए संभोग का सही समय, सरल तरीका और कितनी बार संबंध बनाना उचित है।
1. संभोग का सही समय
- ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्जन) के समय संभोग करना सबसे उत्तम माना जाता है। यह समय मासिक धर्म शुरू होने के लगभग 12वें से 16वें दिन के बीच होता है।
- इस अवधि में महिला के गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है।
- ज्योतिष के अनुसार भी, शुक्ल पक्ष और रात्रि का समय पुत्र प्राप्ति के लिए शुभ माना गया है।
2. पुत्र प्राप्ति के लिए संभोग की क्रिया
- संभोग का समय: रात्रि का प्रथम प्रहर (10 बजे से 12 बजे के बीच) उपयुक्त माना जाता है।
- दिशा: उत्तर या पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोना शुभ प्रभाव देता है।
- आसन (पोज़िशन): आयुर्वेद और ज्योतिष मतानुसार पारंपरिक पद्धति (पुरुष ऊपर) को पुत्र प्राप्ति के लिए उपयुक्त बताया गया है।
- संभोग के बाद महिला को कुछ समय तक पीठ के बल लेटना चाहिए जिससे शुक्राणु गर्भाशय में आसानी से प्रवेश कर सकें।
3. कितनी बार संभोग करना चाहिए?
- ओव्यूलेशन के दिनों में 1–2 दिन छोड़कर संभोग करना अधिक प्रभावी रहता है।
- रोज़ाना संबंध बनाने से शुक्राणु की गुणवत्ता कम हो सकती है, इसलिए बीच-बीच में अंतराल देना उचित है।
- औसतन, ओव्यूलेशन के आसपास 3–4 बार संबंध बनाना पर्याप्त होता है।
4. खान-पान और जीवनशैली
- पुत्र प्राप्ति के इच्छुक दंपत्ति को तैलीय, नमकीन और गर्म तासीर वाले भोजन का सेवन करना चाहिए।
- पुरुषों को अधिक प्रोटीन युक्त भोजन (दूध, दही, बादाम, अखरोट, घी) लेना चाहिए।
- मानसिक तनाव से बचना और सकारात्मक सोच रखना भी बहुत ज़रूरी है।
5. ज्योतिषीय उपाय
- भगवान विष्णु और भगवान शिव की आराधना पुत्र प्राप्ति के लिए विशेष फलदायी होती है।
- गुरुवार का व्रत और पीपल वृक्ष की पूजा करना लाभकारी होता है।
- "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना शुभ फलदायक माना गया है।
निष्कर्ष
पुत्र प्राप्ति के लिए संभोग का सही समय, उचित दिशा, आहार-विहार और ज्योतिषीय उपाय सभी महत्वपूर्ण हैं। लेकिन सबसे ज़रूरी है – दंपत्ति का स्वस्थ और तनावमुक्त होना। सही समय पर संबंध बनाना और सकारात्मक सोच रखना ही सफलता की कुंजी है।