अपराजिता: एक पौधा, अनेक फायदे! जानें इस आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के चमत्कारी गुण

Sachinta maharaj

अपराजिता: आयुर्वेद का एक अनमोल उपहार, जानें इसके चमत्कारी फायदे और उपयोग

क्या आप जानते हैं कि हमारे आसपास मौजूद कुछ साधारण पौधे भी कितने असाधारण हो सकते हैं?

ऐसा ही एक अद्भुत पौधा है "अपराजिता" (Clitoria ternatea), जिसे हिंदी में कोयल, कालीजीर और मारवाड़ी में कोयली कहते हैं। संस्कृत में इसे अपराजिता, विष्णुक्रांता, गोकर्णिका या गिरिकर्णिका के नाम से जाना जाता है। यह एक बहुवर्षीय वनस्पति लता है जो पूरे भारत में आसानी से पाई जाती है। इसके नीले या सफेद रंग के आकर्षक फूल किसी भी बगीचे की शोभा बढ़ा देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह सिर्फ एक सुंदर पौधा नहीं, बल्कि औषधीय गुणों का खजाना है?

अपराजिता की पहचान

अपराजिता की बेल दो प्रकार की होती है - एक सफेद फूल वाली और दूसरी नीले फूल वाली। इसके पत्ते मूँग के पत्तों के समान होते हैं, इसलिए इसे 'गोकर्णी' भी कहते हैं। इसके फूलों का आकार 2 इंच लंबा और 1.5 इंच चौड़ा होता है। इसके फूल इतने सुंदर होते हैं कि कई लोग इसे अपनी पुष्पवाटिका में लगाते हैं।

अपराजिता के औषधीय गुण (आयुर्वेद के अनुसार)

आयुर्वेद में अपराजिता को कई गुणों से भरपूर बताया गया है।

 * सफेद अपराजिता: यह कसैली, ठंडी (शीतल), कड़वी, बुद्धि बढ़ाने वाली, नेत्रों के लिए फायदेमंद, दस्त लाने वाली और विषनाशक मानी जाती है। यह मस्तिष्क रोग, कण्ठ (गले), कुष्ठ, शूल, आम, पित्त रोग, सूजन, कृमि (कीड़े), व्रण (घाव), ग्रहपीड़ा और सर्पदंश में भी उपयोगी है।

 * नीली अपराजिता: यह स्निग्ध (चिकनी), त्रिदोषनाशक (वात, पित्त, कफ को संतुलित करने वाली), बुखार, जलन, भ्रम, पित्त, रक्तपित्त, उन्माद, मद, खांसी और श्वास रोगों को दूर करती है।

अपराजिता का उपयोग और फायदे

अपराजिता का हर भाग, जड़ से लेकर बीज तक, औषधीय गुणों से भरा है। यहाँ इसके कुछ प्रमुख उपयोग दिए गए हैं:

 * विष निवारण (Anti-Venom): इसकी जड़ का चूर्ण घी के साथ लेने से सांप के जहर में फायदा होता है। यह हर तरह के जहर को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है।

 * जलोदर (Dropsy): जलोदर (पेट में पानी भरना) के लिए, इसकी जड़, शंखपुष्पी की जड़, दंतिमूल और नील की जड़ को पानी के साथ पीसकर पीने से लाभ होता है।

 * सूजन और घाव: अपराजिता की जड़ को पीसकर घाव और सूजन पर लगाने से आराम मिलता है।

 * पाचन और लिवर स्वास्थ्य: इसके बीजों को भूनकर उसका चूर्ण 1-3 माशे तक लेने से प्लीहा (spleen) और यकृत (liver) की वृद्धि में चमत्कारी लाभ होता है।

 * गले के रोग: अपराजिता की जड़ का स्वरस (रस) ठंडे दूध के साथ पीने से पुरानी खांसी में फायदा होता है। सफेद अपराजिता की जड़ को घी के साथ खाने से गलगांड (गले की गांठ) में भी लाभ होता है।

 * मिर्गी (Epilepsy): कहा जाता है कि अपराजिता की जड़ का रस नाक में टपकाने से मिर्गी में फायदा होता है।

 * गर्भावस्था के लिए: सफेद अपराजिता की जड़ का छाल को दूध में पीसकर शहद मिलाकर पीने से गिरता हुआ गर्भ रुक जाता है।

 * कमला रोग (Jaundice): इसकी जड़ के चूर्ण को छाछ के साथ पीने से कमला रोग (पीलिया) में लाभ मिलता है।

एक महत्वपूर्ण चेतावनी:

शहद और घी को समान मात्रा में मिलाकर कभी नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह जहरीला हो सकता है। इनका उपयोग करते समय दोनों की मात्रा अलग-अलग होनी चाहिए।

FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. अपराजिता का सबसे बड़ा फायदा क्या है?

👉 यह त्रिदोषनाशक है और मस्तिष्क व लिवर स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है।


Q2. क्या अपराजिता को घर में लगाना शुभ है?

👉 हाँ, वास्तु और आयुर्वेद दोनों दृष्टि से इसे घर में लगाना शुभ माना जाता है।


Q3. अपराजिता का सेवन कैसे करें?

👉 इसका उपयोग पाउडर, जड़ के रस, चूर्ण और फूल की चाय के रूप में किया जा

 सकता है।

निष्कर्ष

अपराजिता एक साधारण दिखने वाला लेकिन असाधारण गुणों वाला पौधा है। इसके आयुर्वेदिक गुण इसे कई बीमारियों के इलाज में उपयोगी बनाते हैं। यह न केवल आपके बगीचे की खूबसूरती बढ़ाता है, बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी एक अनमोल वरदान है।

अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि यह जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। किसी भी गंभीर बीमारी के लिए अपराजिता का उपयोग करने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।

क्या आपने कभी अपराजिता का उपयोग किया है? हमें Whatsapp में बताएं!


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