अहोई अष्टमी व्रत: माता अहोई का व्रत, पूजन विधि, कथा और महत्व
🪔 अहोई अष्टमी का महत्व
अहोई अष्टमी हिंदू धर्म में माताओं के लिए एक अत्यंत पवित्र व्रत है। यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतानों की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और स्वस्थ जीवन के लिए माता अहोई की पूजा करती हैं।
इस व्रत को विशेष रूप से उत्तर भारत, जैसे कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में बड़े श्रद्धा भाव से किया जाता है।
🌼 अहोई अष्टमी व्रत की शुरुआत कैसे करें
- सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- अहोई माता की मिट्टी या चित्र की स्थापना करें।
- दीवार पर साही (साही यानी साही माता – कांटेदार जानवर) और सात संतानों का चित्र बनाएं या चित्र लगाएं।
- संतान के नाम से संकल्प लें कि आप दिनभर निर्जल या फलाहार व्रत रखेंगी।
- शाम के समय तारों के दर्शन के बाद पूजा करें।
- कथा सुनकर संतान की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
🕉️ अहोई अष्टमी पूजा विधि (Pooja Vidhi)
- माता अहोई की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- एक कलश में जल भरें और उसमें मौली बांधें।
- चावल, हल्दी, रोली, दूध, फूल और मीठा प्रसाद अर्पित करें।
- अहोई माता की कथा सुनना अनिवार्य माना जाता है।
- पूजा के बाद जल तारे को अर्पित करें और फिर व्रत का पारण करें।
📖 अहोई अष्टमी व्रत कथा
कहते हैं कि एक बार एक साहूकार की पत्नी अपने सात पुत्रों के लिए जंगल में मिट्टी लेने गई थी। वहां गलती से उसने साही के बच्चे को मार दिया। इसके बाद उसके सातों पुत्र एक-एक कर मृत्यु को प्राप्त हो गए।
महिला को अपने पाप का ज्ञान हुआ और वह पश्चाताप करने लगी। फिर उसने देवी की आराधना की और अष्टमी के दिन व्रत रखा। उसकी भक्ति और प्रायश्चित से माता अहोई प्रसन्न हुईं और उसके पुत्रों को पुनः जीवन मिला।
तभी से माताएं अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखती हैं ताकि उनके बच्चों की आयु लंबी हो और वे सदैव स्वस्थ रहें।
⚖️ क्या करें और क्या न करें (Do’s & Don’ts)
✅ क्या करें
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर को शुद्ध करें।
- अहोई माता का व्रत संतान की भलाई के लिए श्रद्धा से करें।
- तारों के दर्शन के बाद ही व्रत तोड़ें।
- कथा अवश्य सुनें और संतान के नाम से संकल्प लें।
🚫 क्या न करें
- दिनभर जल और भोजन न करें (व्रत नियम अनुसार)।
- किसी का दिल न दुखाएं या क्रोध न करें।
- झूठ, कपट या कटु वचन से बचें।
- बर्तन धोने या अपवित्र कार्यों से दूर रहें।
🌙 अहोई अष्टमी व्रत का पारण
जब आकाश में तारे दिखें, तब अहोई माता को जल अर्पण करें और संतान का नाम लेकर आशीर्वाद मांगे। इसके बाद पति या संतान के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
🧿 निष्कर्ष
अहोई अष्टमी मातृत्व के प्रेम और त्याग का प्रतीक है। यह व्रत न केवल संतान के दीर्घ जीवन के लिए किया जाता है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है।