पूर्वमुखी घर का वास्तु: शुभ-अशुभ परिणाम | संपूर्ण प्लानिंग गाइड | East Facing House Vastu

Sachinta maharaj

पूर्वमुखी घर का वास्तु: शुभ-अशुभ परिणाम और संपूर्ण प्लानिंग गाइड East Facing House Vastu

क्या आपका घर पूर्व दिशा की ओर मुख वाला है? तो आप भाग्यशाली हैं! वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में पूर्व दिशा को अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिशा साक्षात सूर्य देव की है, जो ऊर्जा, जीवन और प्रकाश के प्रतीक हैं। लेकिन क्या हर पूर्वमुखी घर शुभ फल देता है? नहीं! शुभ परिणाम तभी मिलते हैं जब आप वास्तु के सही नियमों का पालन करते हैं।


इस पोस्ट में, हम पूर्वमुखी घर के शुभ और अशुभ परिणामों को जानेंगे, साथ ही मास्टर बेडरूम, रसोई और मुख्य द्वार के लिए सटीक वास्तु टिप्स पर चर्चा करेंगे।


पूर्व दिशा: क्यों है इतनी खास? (The Significance of East Direction)

पूर्व दिशा का संबंध उगते सूरज से है, जो नई शुरुआत, जीवन शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।

 * स्वामी ग्रह: सूर्य (Sun)

 * देवता: इंद्र देव (Lord Indra)

 * तत्व: वायु (Air)

 * शुभता: मान-सम्मान, प्रसिद्धि (Name & Fame), करियर में सफलता, बुद्धि और रचनात्मकता।

पूर्वमुखी घर में सुबह की पहली किरणें (Vitamin D से भरपूर) सीधे प्रवेश करती हैं, जो घर के वातावरण को शुद्ध करती हैं और निवासियों को स्वस्थ रखती हैं।


✅ पूर्वमुखी घर के शुभ परिणाम (Positive Results of East Facing House Vastu)

वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, पूर्वमुखी भवन के कुछ विशेष शुभ परिणाम इस प्रकार हैं:

 * धन और वंश वृद्धि: पूर्व भाग में खाली स्थान (पार्किंग, बगीचा) छोड़ने से धन और परिवार के वंश की वृद्धि होती है, खासकर पुत्र संतान के लिए लाभदायक।

 * मान-सम्मान और यश: यदि पूर्व दिशा नीची हो और दक्षिण दिशा ऊँची हो, तो गृहस्वामी को मान-प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और यश की प्राप्ति होती है।

 * उत्तम स्वास्थ्य: पूर्व दिशा में बरामदा (Veranda) झुका हुआ/नीचा बनवाने और पूर्वी हिस्से को अन्य हिस्सों से नीचा रखने पर गृहस्वामी को अच्छा स्वास्थ्य और सौभाग्य प्राप्त होता है।

 * सकारात्मक ऊर्जा: मुख्य द्वार पूर्व दिशा की ओर होना घर में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और शांति का संचार करता है।


⚠️ पूर्वमुखी घर के अशुभ परिणाम (Negative Results - Vastu Dosh)

पूर्वमुखी घर भी अशुभ फल दे सकता है, यदि वास्तु दोष हो। ये दोष विशेष रूप से पूर्वी दिशा में गलत निर्माण या गलत स्थान पर चीजें रखने से उत्पन्न होते हैं।

अशुभ परिणाम (Vastu Dosh)

  • पूर्व दिशा का ऊंचा होना
  • ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में शौचालय
  •  दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) में मुख्य द्वार 
  • पूर्व में खाली जगह न छोड़ना
  • पुरुष संतान में कमी या संतान का विकलांग होना। |
  • पूर्वी दिशा में कूड़ा-कचरा, पत्थर के टीले
  • पूर्वी दीवार या चबूतरे ऊँचे हों
  • पूर्व दिशा में टॉयलेट/सेप्टिक टैंक

संभावित परिणाम (Bad Results) 

  • गृहस्वामी दरिद्र बनेगा, संतान अस्वस्थ और मंदबुद्धि होगी। 
  • आर्थिक कष्ट झेलने पड़ेंगे और तरक्की में बाधा आएगी। |
  •  गृहस्वामी धन से रहित, कोर्ट-कचहरी के चक्कर में रहने वाला, कर्जदार बन सकता है।
  • धन और संतान की हानि।
  • धन से रहित, संतान अस्वस्थ होगी।
  • यह इस पवित्र दिशा की शुभता को नष्ट करता है, जिससे हानिकारक परिणाम मिलते हैं। |


🏡 पूर्वमुखी घर के लिए संपूर्ण वास्तु प्लानिंग गाइड

एक पूर्वमुखी घर को अत्यधिक शुभ बनाने के लिए, प्रत्येक कमरे की सही दिशा जानना महत्वपूर्ण है।

1. मुख्य प्रवेश द्वार (Main Entrance)

पूर्वमुखी घर का मुख्य द्वार ही उसकी कुंजी है।

 * उत्तम स्थान: प्रवेश द्वार हमेशा पूर्व दिशा के केंद्र या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) की ओर होना चाहिए। इसे वास्तु के 9 पादों में से तीसरे, चौथे या पांचवें पाद में बनाना सबसे शुभ माना जाता है।

 * इससे बचें: दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) में प्रवेश द्वार कभी न रखें। यह दिशा अग्नि तत्व से संबंधित है और कलह, आर्थिक हानि या चोरी का भय उत्पन्न कर सकती है।

 * टिप: प्रवेश द्वार को अन्य सभी दरवाजों और खिड़कियों से बड़ा और आकर्षक रखें।

2. रसोई घर (Kitchen)

रसोई का संबंध अग्नि तत्व से है, इसलिए इसे सही दिशा में रखना अनिवार्य है।

 * उत्तम स्थान: रसोई के लिए सबसे अच्छी दिशा दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) है।

 * खाना बनाते समय: आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इससे स्वास्थ्य और धन लाभ होता है।

 * टिप: उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई बनाने से बचें, क्योंकि यह जल और अग्नि तत्वों के बीच टकराव पैदा कर सकता है।

3. मास्टर बेडरूम (Master Bedroom)

मास्टर बेडरूम घर के मुखिया के लिए होता है, जो स्थिरता और विश्राम प्रदान करता है।

 * उत्तम स्थान: मास्टर बेडरूम हमेशा दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) दिशा में होना चाहिए।

 * टिप: पूर्व दिशा में मास्टर बेडरूम नहीं बनाना चाहिए, इसे हानिकारक माना जाता है। (छवि 1001684267.jpg के अनुसार, नैऋत्य कोण 'उत्तम' है)।

4. पूजा कक्ष (Pooja Room)

पूजा कक्ष सबसे पवित्र स्थान है और इसे ब्रह्मांडीय ऊर्जा के लिए अनुकूल होना चाहिए।

 * उत्तम स्थान: पूजा कक्ष के लिए सर्वश्रेष्ठ दिशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) है।

 * वैकल्पिक: यदि ईशान कोण में संभव न हो, तो आप इसे पूर्व दिशा में भी बना सकते हैं।

5. शौचालय और सेप्टिक टैंक (Toilet and Septic Tank)

ये नकारात्मक ऊर्जा वाले क्षेत्र हैं और इन्हें कभी भी शुभ दिशाओं में नहीं बनाना चाहिए।

 * स्थान: शौचालय और सेप्टिक टैंक के लिए दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) या उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) दिशाएं ठीक मानी जाती हैं।

 * इससे बचें: उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) और पूर्व दिशा में टॉयलेट या सेप्टिक टैंक का निर्माण सख्‍ती से मना है।

6. बच्चों का स्टडी रूम (Study Room)

 * उत्तम स्थान: बच्चों के अध्ययन कक्ष के लिए उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा सबसे उत्तम है। यह बच्चों के ज्ञान, बल और बुद्धि को बढ़ाने में सहायक है।


✨ पूर्व दिशा के लिए अन्य महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स

 * अधिक खाली जगह: घर के निर्माण के समय पूर्व और उत्तर दिशाओं में अधिक खाली जगह (ओपन स्पेस या बालकनी) अवश्य छोड़ें।

 * पानी की टंकी/कुआँ: पूर्व दिशा में भूमिगत जल संग्रह (अंडरग्राउंड वाटर टैंक, कुआँ) शुभदायक होता है, जो आर्थिक लाभ और वंश वृद्धि करता है।

 * ऊँचाई का नियम: पूर्वी और उत्तरी दिशा की दीवारें, चबूतरे या चारदीवारी, पश्चिमी और दक्षिणी दिशाओं की तुलना में नीची होनी चाहिए।

 * सजावट: परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए पूर्व दिशा की दीवार पर उगते सूरज की तस्वीर लगाएं।

 * पौधे: विकास को बढ़ावा देने के लिए पूर्व दिशा में कोई पौधा या पौधे की तस्वीर लगा सकते हैं।


निष्कर्ष:

पूर्वमुखी घर निस्संदेह अत्यंत शुभ होता है, बशर्ते आप वास्तु के बुनियादी नियमों का पालन करें। सही स्थान पर प्रवेश द्वार, रसोई और बेडरूम का निर्माण करके, आप सूर्य की असीमित ऊर्जा को अपने जीवन में सकारात्मकता, स्वास्थ्य, धन और प्रसिद्धि के रूप में आमंत्रित कर सकते हैं। वास्तु के इन नियमों का पालन करें और अपने पूर्वमुखी भवन को वास्तविक "शुभ भवन" बनाएं!

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