काली चौदस 2025: तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व | Kali Chaudas 2025 Date, Time, Puja Vidhi

Sachinta maharaj

2025 काली चौदस पूजा – तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व | Kali Chaudas 2025 Puja Vidhi, Muhurat & Significance in Hindi


📅 काली चौदस 2025 की तिथि और मुहूर्त

  • काली चौदस तिथि प्रारंभ: 19 अक्टूबर 2025, रविवार को दोपहर 13:51 बजे
  • काली चौदस तिथि समाप्त: 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को 15:44 बजे
  • काली चौदस पूजा मुहूर्त: रात 23:41 से 00:31 (अक्टूबर 20) तक
  • पूजा की कुल अवधि: 00 घंटे 51 मिनट

हनुमान पूजा: रविवार, 19 अक्टूबर 2025 को की जाएगी।


🌑 काली चौदस क्या है?

काली चौदस को भूत चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि दीवाली उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है और मुख्य रूप से पश्चिमी भारत, विशेषकर गुजरात में बड़ी श्रद्धा और भक्ति से मनाई जाती है।


काली चौदस का उद्देश्य नकारात्मक ऊर्जाओं, भूत-प्रेत बाधाओं और भय से मुक्ति पाना है। इस दिन भगवान हनुमान, काली माता और यमराज की पूजा का विशेष महत्व होता है।


🔱 काली चौदस पूजा विधि (Kali Chaudas Puja Vidhi)

  1. प्रातःकाल स्नान करके घर की साफ-सफाई करें।
  2. घर के मुख्य द्वार पर तेल का दीपक जलाएं — इसे यमदीप भी कहा जाता है।
  3. रात के समय काली माता और हनुमान जी की पूजा करें।
  4. काली माता को सिंदूर, नींबू, लौंग, और काले तिल अर्पित करें।
  5. नकारात्मक शक्तियों से रक्षा के लिए “ॐ क्रीम कालिकायै नमः” मंत्र का जप करें।
  6. हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।

काली चौदस का महत्व (Significance of Kali Chaudas)

  • यह दिन नकारात्मक शक्तियों को दूर करने और शारीरिक-मानसिक शुद्धि के लिए अत्यंत शुभ होता है।
  • माना जाता है कि इस दिन साधक को आध्यात्मिक ऊर्जा, साहस और रक्षा कवच प्राप्त होता है।
  • काली चौदस की रात तंत्र साधना, हनुमान उपासना, और काली साधना के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।

🚫 क्या करें और क्या ना करें

क्या करें:
✅ काली माता या हनुमान जी की पूजा करें।
✅ तिल का दीपक जलाएं और घर को साफ रखें।
✅ काले तिल और सरसों के तेल का दान करें।

क्या ना करें:
❌ झगड़ा या क्रोध न करें।
❌ दूसरों का अपमान न करें।
❌ इस दिन मांस, मदिरा या तामसिक भोजन से परहेज करें।


🙏 संक्षेप में

काली चौदस का पर्व अंधकार पर प्रकाश, भय पर साहस और नकारात्मकता पर सकारात्मकता की विजय का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जब हम भीतर के भय को समाप्त करते हैं, तभी सच्ची दिवाली मनाते हैं।


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