वास्तु शास्त्र: दुकान और ऑफिस के लिए 10+ अचूक टिप्स | व्यापार में सफलता पाएं

Sachinta maharaj

वास्तु शास्त्र के अनुसार दुकान और व्यवसाय के लिए 10 ज़रूरी बातें: सफलता की कुंजी

क्या आपका व्यवसाय संघर्ष कर रहा है या आप एक नई दुकान शुरू करने की योजना बना रहे हैं? वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करके आप अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि को आकर्षित कर सकते हैं।


आपके द्वारा साझा की गई प्राचीन पुस्तक के ज्ञान और सामान्य वास्तु सिद्धांतों के आधार पर, यहाँ दुकान और ऑफिस के लिए 10 सबसे महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स दिए गए हैं, जो आपके व्यापार को नई ऊँचाई देंगे।

1. दुकान के मुख की सही दिशा (Entrance Direction)

दुकान के प्रवेश द्वार की दिशा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।

 * सर्वोत्तम दिशाएँ:

   * उत्तरमुखी दुकान: यह कुबेर (धन के देवता) की दिशा है। यह धन-धान्य की वृद्धि करती है और आपकी प्रतिष्ठा बढ़ाती है।

   * पूर्वमुखी दुकान: व्यावसायिक दृष्टि से यह उत्तम और सबसे अधिक लाभप्रद मानी जाती है।

 * अन्य दिशाएँ:

   * पश्चिममुखी दुकान: यह मध्यम फल देती है—कभी तेज़ी (लाभ) तो कभी मंदी (हानि) हो सकती है।

   * दक्षिणमुखी दुकान: यह सामान्यतः शुभ नहीं मानी जाती, लेकिन यदि आपकी जन्मपत्री में राहु या शुक्र बलवान हैं, तो यह अतिलाभ भी दे सकती है। बड़े शहरों में, यदि दक्षिणमुखी दुकान लेना ज़रूरी हो, तो मालिक को बैठने की दिशा बदलनी चाहिए।

2. मालिक और कैशियर के बैठने की सही जगह

दुकान के मालिक और कर्मचारियों का सही दिशा में बैठना व्यापारिक निर्णय और धन-प्रवाह को प्रभावित करता है।

 * मालिक (दुकानदार):

   * मालिक को दुकान के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) में बैठना चाहिए, जिससे उनका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो।

   * दक्षिण या पश्चिम की ओर मुख करके कभी न बैठें, अन्यथा धन हानि हो सकती है।

 * कैश काउंटर (तिजोरी):

   * कैश काउंटर या तिजोरी को उत्तर दिशा में रखना सबसे शुभ है, क्योंकि यह धन के अधिपति कुबेर की दिशा है।

   * आप इसे दक्षिण या पश्चिम की दीवार के सहारे भी रख सकते हैं।

3. दुकान का शुभ आकार

दुकान का आकार भी वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है।

 * शुभ आकार:

   * सिंहमुखी दुकान: जिसका सामने का भाग चौड़ा और पीछे का भाग संकरा हो। यह लाभ के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।

   * चौकोर (चतुरस्र) या आयताकार (दीर्घायतन) दुकान।

 * अशुभ आकार:

   * गोमुखी दुकान: जिसका सामने का भाग संकरा और पीछे का चौड़ा हो।

   * त्रिकोणीय (त्रिभुजाकार) या टेढ़ी-मेढ़ी (विकला) दुकान। ऐसे आकार व्यापार में बाधाएं लाते हैं।

4. गणेश जी और लक्ष्मी जी का स्थान

पूजा और देवी-देवताओं का स्थान हमेशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में होना चाहिए।

 * सबसे पहले अपने कुलदेवता, ग्राम-देवता, ऋद्धि-सिद्धि सहित श्री गणेश का ध्यान करें।

 * यदि स्थान की कमी है, तो लक्ष्मी जी को गणेश जी के शीर्ष (ऊपर) स्थान दें।

5. धन और तिजोरी का स्थान

 * धन रखने के वस्त्र, थैली, पर्स या तिजोरी को उत्तर दिशा में रखें।

 * पाँच कौड़ियाँ और साबुत हल्दी की पाँच गांठें श्रद्धा के साथ तिजोरी या गल्ले में रखें।

6. फर्श और सीढ़ियाँ

 * दुकान का फर्श ऊबड़-खाबड़ या अधिक ढलान वाला नहीं होना चाहिए। अधिक ढलान से व्यापार में अवरोध आते हैं।

 * फर्श का स्तर दक्षिण-पश्चिम में ऊँचा और उत्तर-पूर्व में नीचा रखना शुभ माना जाता है।

7. स्वस्तिक चिन्ह का महत्व

 * दुकान या कार्यालय के प्रवेश द्वार के पास स्वस्तिक चिन्ह अवश्य अंकित करें।

 * स्वस्तिक समृद्धि (सफलता) के प्रतीक हैं और इनमें कल्याण तथा आकर्षण शक्ति का वास होता है।

 * स्वस्तिक बनाते समय यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि इसके प्रतिलोम (उलटी) भुजाओं वाला स्वस्तिक न हो, अन्यथा फल विपरीत होगा।

8. शुभ मुहूर्त का पालन

 * होटल, दुकान, कार्यालय आदि का व्यापारिक कार्य श्रेष्ठ स्थिर लग्न में ही आरंभ करना चाहिए।

 * दोपहर बाद (अपराह्न) या रात्रि के समय में व्यापार-व्यवसाय का मुहूर्त करना मंगलप्रद नहीं होता है।

9. भूमि और निर्माण दोष

 * दुकान के सामने गड्ढा या नाली नहीं होनी चाहिए। यह 'वेध' कहलाता है, जो आय को बाधित करता है।

 * द्वार के पास देहली (दहलीज), पाट या ठोकर नहीं होनी चाहिए, न ही कोई अवरोध (जैसे खंभा या पेड़) रखना चाहिए।

10. व्यापारिक उपकरण

 * शुभ मुहूर्त में नए उपकरण जैसे बहीखाता, लेखनी (कलम), डायरी, मशीनें, तराज़ू आदि श्रद्धा के साथ खरीदकर विधिविधान से पूजा करके उपयोग करना चाहिए।

अगर आप अपनी दुकान या ऑफिस के लिए इन नियमों का पालन करते हैं, तो वास्तु दोष दूर होंगे और आपके व्यवसाय में निरंतर उन्नति बनी रहेगी।

क्या आप जानना चाहेंगे कि आपकी राशि के अनुसार व्यवसाय में लाभ के लिए कौन सा रंग सबसे शुभ रहेगा? तो हमे whatsapp करे।


To Top