अरलू (Oroxylum Indicum) आयुर्वेदिक उपयोग, लाभ, औषधीय गुण, और घरेलू नुस्खे
🌸 परिचय:
अरलू, जिसे संस्कृत में श्योनाक कहा जाता है, एक अत्यंत उपयोगी वनस्पति है। यह भारतवर्ष में सर्वत्र पाई जाती है। इसका वृक्ष नीम के समान ऊँचा होता है और इसकी छाल सफेद राख जैसी दिखाई देती है। पत्ते 4 से 8 इंच लंबे और गहरे कटे हुए होते हैं। इसके फूल हल्के हरे और फलियाँ लंबी तलवार जैसी होती हैं।
🌿 अरलू के नाम विभिन्न भाषाओं में:
- संस्कृत: श्योनाक, टुंटुकम्
- हिन्दी: अरलू
- बंगाली: सोनालू
- गुजराती: अरडूसो
- मराठी: अडूलसा
- कन्नड़: शोडिलमर
- तेलुगु: पैद्धामानुः
- पंजाबी: मुलिन
- नेपाली: करुमकंद
⚕️ आयुर्वेदिक गुण (Medicinal Properties):
अरलू कसेला, कड़वा, चरपरा, जठराग्नि प्रदीपक, बलदायक, शीतल और वीर्यवर्धक माना गया है।
यह वात, पित्त, कफ, ज्वर, आमवात, खांसी, अतिसार, कृमि, और प्रसूति पश्चात की कमजोरी में अत्यंत लाभकारी है।
💊 अरलू के प्रमुख उपयोग (Main Uses):
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अतिसार और खूनी दस्त:
छाल और पत्तों को बारीक पीसकर भाड़ में पकाने के बाद रस निकालें। यह रस दिन में दो बार पीने से पुराने अतिसार और खूनी दस्त में लाभ होता है। -
प्रसूति के बाद दर्द और कमजोरी:
छाल का चूर्ण, सोंठ और गुड़ के साथ गोलियाँ बनाकर देने से प्रसव के बाद की पीड़ा और कमजोरी दूर होती है। -
संधिवात (Joint Pain):
छाल का चूर्ण नियमित सेवन करें और गरम पत्ते जोड़ों पर बाँधें — इससे संधिवात में राहत मिलती है। -
मलेरिया ज्वर:
अरलू की लकड़ी का प्याला बनाकर उसमें रखा पानी सुबह पीने से मलेरिया जैसे ज्वर नष्ट होते हैं। -
श्वास रोग:
चूर्ण को अदरक के रस और शहद के साथ लेने से दमा और खांसी में लाभ होता है। -
मन्दाग्नि (Weak Digestion):
छाल को पानी में भिगोकर छानकर दिन में दो बार पीने से भूख बढ़ती है और पाचन सुधरता है। -
बवासीर:
अरलू की छाल, चित्रकमूल, इन्द्रजौ, करंज छाल, सेंधा नमक और सोंठ के चूर्ण को मट्ठे के साथ लेने से बवासीर में लाभ होता है। -
कान दर्द:
अरलू की जड़ से बना तेल कान में डालने से त्रिदोषजन्य कर्णशूल मिटता है। -
मुँह के छाले:
छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर मुँह के छाले ठीक होते हैं।
🌼 महत्वपूर्ण सावधानियाँ:
- किसी भी औषधीय प्रयोग से पहले वैद्य या आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को विशेषज्ञ की सलाह से ही इसका उपयोग करना चाहिए।
🌿 निष्कर्ष:
अरलू एक अत्यंत प्रभावशाली औषधीय वृक्ष है जो दशमूल का अभिन्न हिस्सा है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जठराग्नि को तीव्र करता है और प्रसवोत्तर कमजोरी, वात रोग, ज्वर, कफ, और पाचन संबंधी रोगों में विशेष लाभ प्रदान करता है।


