अस्थिसंहार (Hadjod) के औषधीय गुण, उपयोग, फायदे और बीमारियों में लाभ | पूर्ण आयुर्वेदिक गाइड

Sachinta maharaj

अस्थिसंहार (Hadjod) के औषधीय गुण, उपयोग, फायदे 

अस्थिसंहार (Hadjod) क्या है?

अस्थिसंहार जिसे हाड़जोड़ या हरजोड़ा भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक बेल है जो हड्डियों को जोड़ने और दर्द दूर करने में विशेष रूप से जानी जाती है। यह भारत में सर्वत्र पाई जाती है और औषधीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।




🟢 स्थानीय नाम:

  • हिन्दी: हाड़जोड़, हरजोड़ा
  • संस्कृत: कोष्टुघंटिका, वज्रकन्द, वज्रवल्ली
  • मराठी: कन्दबेल
  • गुजराती: वेदारी
  • बंगाली: हारभंग
  • तेलुगू: वज्रबल्जी

🔍 पहचान (Identification):

  • यह बेल थूहर जाति की होती है।
  • इसकी शाखाएँ चौकोर होती हैं।
  • फूल गुलाबी, सफेद और प्याजी रंग के।
  • 4–6 इंच की दूरी पर गांठें।
  • लाल मटर के आकार का फल, जिसमें एक बीज।
  • पुरानी डालियाँ स्वाद में खट्टी हो जाती हैं।

🌿 अस्थिसंहार के गुण (Medicinal Properties)

आयुर्वेदिक गुण:

  • वात-कफनाशक
  • हड्डी जोड़ने वाली
  • कृमिनाशक
  • पाचक
  • अग्नि-वर्धक
  • पौष्टिक
  • नेत्ररोग नाशक
  • कामोद्दीपक
  • पित्तकारक

लाभकारी बीमारियाँ:

  • टूटी हड्डी (Fracture)
  • बवासीर
  • मृगी
  • अर्बुद
  • भूख न लगना
  • तिल्ली रोग
  • जलोदर
  • पीठ दर्द
  • मेरुदण्ड पीड़ा

🧿 यूनानी मतानुसार लाभ:

  • डंठल कड़वा और हड्डियों को जोड़ने वाला।
  • पीठ दर्द व स्पाइनल दर्द में लाभकारी।
  • धातु परिवर्तन में सहायक।
  • अपच से हुई आंतों की समस्या में उपयोगी।
  • मासिक धर्म अनियमितता में लाभकारी।
  • बच्चों के उक्कुश (कफ) रोग में उपयोगी।
  • नाक से खून बहना व कान बहना रोकता है।
  • दमे में तने का प्रयोग लाभकारी।

💠 अस्थिसंहार के 11 प्रमुख औषधीय उपयोग (Home Remedies)

1. वात व दर्द में लाभ

अस्थिसंहार की छाल का चूर्ण + उड़द दाल मिलाकर तिल के तेल में पकौड़ी बनाकर खाने से वात रोग में लाभ होता है।

2. अतिसार (Diarrhea)

इसके पत्ते + कोयला का चूर्ण फंकी के रूप में दिया जाए।

3. कर्ण पीड़ा

शाखा का रस कान में डालने से दर्द में आराम।

4. मासिक अनियमितता व मसूड़ों की सूजन

एक तोला अस्थिसंहार + शक्कर चटाने से लाभ।

5. पेट दर्द

शाखा को चूने के पानी में उबालकर पिलाने से पेट दर्द समाप्त।

6. ताकत बढ़ाने में

इसकी फंकी बल बढ़ाती है।

7. मन्दाग्नि (Weak Digestion)

इसके चूर्ण को सोंठ के साथ लेने से लाभ।

8. पेट रोग व भूख बढ़ाना

कोमल कोपलों की चटनी बनाकर खिलाने से भूख बढ़ती है।

9. अजीर्ण व मन्दाग्नि

कोपलों को मिट्टी के बर्तन में जलाकर बनी भस्म की फंकी।

10. रीढ़ दर्द

इसकी नरम शाखाओं का बिछौना बनाकर उस पर सोने से रीढ़ दर्द कम।

11. घाव, गर्मी के चट्टे

नरम लकड़ी का रस + गाय का घी मिलाकर 7 दिन देने से चट्टे और घाव ठीक होते हैं।
ध्यान: दवा लेते समय नमक बिल्कुल न लें।


📌 सावधानियाँ (Precautions)

  • गर्भवती महिलाओं को बिना वैद्य सलाह उपयोग न कराएँ।
  • अधिक मात्रा में पित्त बढ़ा सकता है।
  • लगातार लंबे समय तक बिना विशेषज्ञ सलाह सेवन न करें।


To Top