अरण्य तम्बाकू के औषधीय गुण, उपयोग और पहचान | Aranya Tambaku Benefits
🔸 परिचय (Introduction)
अरण्य तम्बाकू जिसे वन तम्बाकू, भीड़, तमाल, या भौंड के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध औषधीय पौधा है। यह पूरे भारतवर्ष में सर्वत्र पाया जाता है और आयुर्वेद में इसे तीसरे दर्जे की गर्म और रूक्ष औषधि माना गया है।
🔹 स्थानीय नाम (Local Names)
- हिन्दी: वन तम्बाकू, भीड़, तमाल
- संस्कृत: अरण्य तम्बाकू
- पंजाबी: बन तम्बाकू, एकवीर
- अंग्रेज़ी: Wild Tobacco
- फारसी: दुस्सीर, माही ज़हर
- लैटिन: Hyoscyamus niger
- अरबी: माहीजहरज
🔸 प्राप्तस्थान एवं पहचान (Habitat & Identification)
यह पौधा आकार में सामान्य तम्बाकू जैसा होता है। इसका रंग भूरे और पीले मिश्रित रोयों से आच्छादित रहता है। फूल पीले रंग के और पत्ते बड़ी संरचना वाले होते हैं।
- पत्तों में पाँच खंड होते हैं, ऊपर का भाग चिकना तथा नीचे रोयेंदार होता है।
- स्वाद लुभावना व कुछ-कुछ कड़वा होता है।
- फलियाँ लंबी और गोल होती हैं तथा बीज बहुत छोटे और सख्त।
🌿 गुण (Medicinal Properties)
आयुर्वेद के अनुसार, अरण्य तम्बाकू —
- गर्म और रूक्ष प्रकृति की औषधि है।
- वेदना नाशक, आक्षेप निवारक, पेशाब लाने वाली, नींद लाने वाली, और लुभावदार होती है।
- छाती के दर्द, आमवात, संथिवात, आमातिसार तथा कफ संबंधी रोगों में उपयोगी है।
💊 उपयोग (Uses and Benefits)
1️⃣ तेल और टिंचर रूप में प्रयोग
- इसके ताजे पत्तों को शराब के साथ मिलाकर टिंचर तैयार किया जाता है।
- यह सिर दर्द, नाक-कान के दर्द, कान की सूजन और पुराने कान के संक्रमण में लाभकारी है।
2️⃣ जड़ का औषधीय उपयोग
- इसकी जड़ का काढ़ा सिर दर्द, आक्षेप, और मस्तिष्क पीड़ा को दूर करता है।
- सूखे पत्तों को जलाकर धुआं लेने से खांसी, स्वांस रोग, और अस्थमा में राहत मिलती है।
3️⃣ खांसी और पाचन शक्ति में लाभकारी
- यह खांसी रोकने वाली, आंते मजबूत करने वाली और नींद लाने वाली औषधि है।
- पत्तों को दूध में उबालकर सेवन करने से स्वांस की तकलीफ और कमजोरी दूर होती है।
⚠️ सावधानी (Precautions)
- अत्यधिक मात्रा में इसका सेवन विषाक्त प्रभाव डाल सकता है।
- केवल आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह पर ही प्रयोग करें।
🪔 निष्कर्ष (Conclusion)
अरण्य तम्बाकू प्राकृतिक औषधियों में एक अद्भुत पौधा है। यह न केवल खांसी, दर्द और सूजन में लाभ देता है, बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। सावधानीपूर्वक उपयोग से यह अनेक रोगों में वरदान सिद्ध होता है।



