असगंध (अश्वगंध) के औषधीय गुण और फायदे | गठिया, क्षयरोग, बुढ़ापे की कमजोरी और नींद की समस्या का आयुर्वेदिक उपचार

Sachinta maharaj

असगंध (अश्वगंध) के औषधीय गुण, फायदे और उपयोग | Asgandh (Ashwagandha) Benefits 

🌿 असगंध (अश्वगंधा) का परिचय

असगंध, जिसे संस्कृत में अश्वगंधा ओर गुजराती में धोंडा कहा जाता है, भारतवर्ष में सर्वत्र पाई जाने वाली एक प्रसिद्ध औषधीय वनस्पति है। यह वर्षा ऋतु में उत्पन्न होती है। इसके पौधे लगभग 2 से 3 फीट ऊँचे होते हैं जिनमें रींगणी जैसी कई शाखाएँ निकलती हैं। इसके लाल रंग के फल चनोटी के समान होते हैं, जो बरसात के अंत या जाड़े की शुरुआत में दिखाई देते हैं।

इसकी जड़ एक फुट लंबी, मजबूत और कड़वी होती है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि बाजार में जो "असगंध" के नाम से जड़ें बिकती हैं, वे अक्सर असली पौधे की नहीं होतीं।



⚕️ असगंध के गुण (Medicinal Properties):

असगंध एक नशीली और वातहर औषधि है, जिसमें मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को शांत करने की क्षमता होती है।

  • यह मज्जातंतुओं पर अवसादक (Sedative) प्रभाव डालती है।
  • हृदय पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं डालती।
  • छोटी मात्रा (1–2 रत्ती) में देने से यह कामोद्दीपक प्रभाव करती है।
  • जड़ पौष्टिक और धातु-परिवर्तक होती है।
  • गठिया, क्षयरोग, बुढ़ापे की कमजोरी में अत्यंत लाभदायक है।
  • इसमें निद्रा लाने वाले और मूत्र बढ़ाने वाले तत्व पाए जाते हैं।

🌼 असगंध के प्रमुख उपयोग (Uses):

  1. बाहरी उपयोग:
    ताजी जड़ को चन्दन की तरह घिसकर फोड़े, गाँठ या प्लेग की गाँठ पर लगाने से आराम मिलता है।

  2. आंतरिक उपयोग:
    पाउडर या चूर्ण को दूध के साथ लेने से कमजोरी दूर होती है, बल और वीर्य में वृद्धि होती है।

  3. तनाव और नींद में लाभ:
    यह मानसिक शांति लाकर गहरी नींद में सहायता करती है।

  4. पुरुष स्वास्थ्य:
    यह कामेच्छा बढ़ाने और शुक्राणु की गुणवत्ता सुधारने में सहायक है।


🧘‍♂️ महत्वपूर्ण सुझाव:

  • असगंध का सेवन हमेशा किसी योग्य वैद्य या आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन न करें, क्योंकि यह नशीला प्रभाव डाल सकता है।


📌 निष्कर्ष:

असगंध (अश्वगंधा) एक ऐसी चमत्कारी जड़ी-बूटी है जो शरीर, मन और आत्मा तीनों के स्वास्थ्य के लिए अमृत समान है। इसका नियमित और उचित सेवन शरीर को ऊर्जावान, स्वस्थ और शांत बनाता है।

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