पश्चिम भाग के शुभाशुभ निर्णय (Vastu Shastra for West Direction)
वास्तु शास्त्र में पश्चिम दिशा को वरुण देव की दिशा माना गया है। यह दिशा घर के पुरुष संतान, यश, प्रतिष्ठा और आर्थिक उन्नति से जुड़ी होती है। अतः घर या भवन का पश्चिम भाग यदि संतुलित और दोषरहित है, तो परिवार में उन्नति और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
आइए जानते हैं — पश्चिम दिशा के शुभ-अशुभ प्रभाव, वास्तु दोष, और निवारण उपाय विस्तार से।
🏡 पश्चिम मुख गृह के लिए प्रमुख निर्णय:
- पश्चिम मुख घर के उत्तर में खाली स्थान हो तो उत्तरी चहारदीवारी में ऊँचाई पर फाटक बनाना शुभ होता है।
- यदि घर को पश्चिम वायव्य मार्ग प्रहार हो तो उत्तर दिशा की भूमि नहीं खरीदनी चाहिए।
- पूर्व दिशा में भूमि खरीदने पर पूर्व की चहारदीवारी में ऊँचाई पर फाटक बनाना या दीवार हटाना आवश्यक होता है।
⚖️ पश्चिम भाग के निर्माण से संबंधित नियम:
- पश्चिम मुख द्वार वाले गृह की चहारदीवारी मुख द्वार से ऊँची या नीची हो सकती है।
- पश्चिम दिशा का घर खरीदना हो तो पहले पुराने घर को खाली कर, निर्माण के बाद नया घर अपने नाम पर कराना चाहिए।
- वर्षा जल का प्रवाह ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) की ओर रखना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- पश्चिम मुख घर में पूरब दिशा में ढलान या बरामदा होना शुभ फलदायी होता है।
- यदि पश्चिम में बरामदा हो, तो पूर्व दिशा में भी एक होना चाहिए।
🌊 पानी और परनाले का प्रबंध:
- पश्चिम दिशा का जल बहाव यदि पश्चिम या नैऋत्य की ओर हो, तो यह बीमारियों और आर्थिक हानि का कारण बनता है।
- बेहतर परिणाम हेतु जल प्रवाह को ईशान कोण से उत्तर दिशा की ओर बहाने का प्रबंध करें।
- पश्चिम भाग का निम्न होना भी बाहर की ओर ठीक रहता है, पर घर के अंदर पश्चिम भाग निम्न न हो।
🌟 पश्चिम दिशा के शुभ परिणाम (Good Results):
- यदि घर के पश्चिम में सड़क हो और घर पश्चिमाभिमुखी बनाया जाए तो शुभफल प्राप्त होंगे।
- पश्चिम भाग में कूड़ा, पत्थर आदि होने से अवरोधक ऊर्जा शुद्ध होती है।
- पश्चिम दिशा के दरवाजे केवल पश्चिमाभिमुख हों तो अत्यंत शुभ हैं।
- पश्चिम भाग का उच्च स्तर (elevated platform) यश, प्रतिष्ठा और आर्थिक लाभ देता है।
- पश्चिम दिशा की दीवारें ऊँची और मजबूत हों तो परिवार में स्थिरता रहती है।
- पश्चिम भाग में भारी वृक्ष लगाना भी अत्यंत शुभ होता है।
⚠️ पश्चिम दिशा के दुष्परिणाम (Bad Results):
- पश्चिम भाग का निम्न होना या फर्श नीचा होना अपयश और धनहानि का कारण बनता है।
- पश्चिम दिशा के खाली स्थल की तुलना में पूर्व दिशा का खाली स्थल कम हो तो पुरुष संतान को हानि होती है।
- पश्चिमी द्वार नैऋत्य दिशा में होने पर दीर्घकालिक रोग, असामयिक मृत्यु और हानि होती है।
- पश्चिम वायव्य दिशा में द्वार होने पर कानूनी झगड़े और विवाद बढ़ते हैं।
- वर्षा जल का पश्चिम की ओर बहना पुरुषों में रोग और दुर्भाग्य लाता है।
🔮 वास्तु उपाय (Remedies for West Direction Defects):
- पश्चिम भाग में ऊँचाई बनाए रखें।
- बरामदे की दीवारें कम से कम तीन फुट ऊँची रखें।
- पश्चिम मुख घर में पोर्टिको (Portico) का स्लैब बिना स्तंभों के बनाएं।
- पश्चिम दिशा में तुलसी का पौधा या शमी वृक्ष लगाना लाभदायक होता है।
- जल निकासी हमेशा ईशान कोण से उत्तर की ओर रखें।
🌼 निष्कर्ष (Conclusion):
वास्तु शास्त्र में पश्चिम दिशा को यश और पुरुष शक्ति की दिशा कहा गया है। यदि इस दिशा के अनुसार घर का निर्माण और जल-प्रवाह का प्रबंध किया जाए, तो जीवन में यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि बनी रहती है। परंतु वास्तु दोष होने पर रोग, विवाद और आर्थिक हानि का सामना करना पड़ता है।
इसलिए पश्चिम दिशा के वास्तु नियमों का पालन अवश्य करें और शुभ फल प्राप्त करें।



